रुद्रपुर: श्रमिक संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में एएलसी कार्यालय पर श्रमिकों ने महा पंचायत करके शोषण, जुल्म और दमन के खिलाफ आवाज बुलंद की। श्रमिकों की मांग है कि फैक्ट्रियों में प्रबंधन की मनमानी पर लगाम लगनी चाहिए। ताकि अवैध रूप से श्रमिकों की गेटबंदी, निष्कासन एवं निलंबन पर रोक लग सके। उन्होंने उत्तराखंड से पलायन कर रही कंपनियों पर रोक लगाने की मांग भी की। मंगलवार की सुबह से ही एएलसी दफ्तर पर श्रमिक एवं उनके परिजनों का हुजूम जमा होना शुरू हो गया था। महापंचायत में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने कहा कि सिडकुल पंतनगर समेत पूरे ऊधमसिंह नगर में जिले में मजदूरों को यूनियन को मान्यता दिलाने को भी संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि ट्रेड यूनियन बनाना मजदूरों का कानूनी अधिकार है। मजदूरों ने 1926 में अंग्रेजों से लड़कर यह अधिकार प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि बड़ी शर्मनाक बात है कि जैसे ही मजदूर फैक्ट्री में यूनियन का गठन करते हैं तो मालिकान एवं प्रबंधन यूनियन नेताओं एवं संघर्षशील श्रमिकों का दमन व उत्पीडऩ शुरू कर देते हैं। गैरकानूनी ढंग से गेटबंदी से लेकर झूठे मुकदमे तक दर्ज करा कर श्रमिकों को परेशान किया जाता है और प्रशासन मूकदर्शक की भूमिका में रहता है। महिंद्रा एंड महिंद्रा लालपुर, महिंद्रा सीआईई, आटोलाइन, रिचा आदि कंपनियां इसके उदाहरण हैं।
श्रमिक संयुक्त मोर्चा के महासचिव गणेश मेहरा ने कहा कि पूरे सिडकुल में गैर कानूनी ठेका प्रथा चल रही है। गैर कानूनी ढंग से ट्रेनी व कैजुअल मजदूर रखे जा रहे हैं जो श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है। अनेक फैक्ट्रियां ऐसी हैं जहां श्रमिकों के मांगपत्र पर कोई गौर नहीं किया जाता।
हद तो यह है कि ऐरा कंपनी के मजदूरों की पत्नियां एवं बच्चे चार माह से रुके वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने को विवश हैं, लेकिन श्रम अधिकारी एवं जिला प्रशासन के अधिकारी उनके प्रति गंभीर नहीं हैं। कहा कि मजदूरों के असंतोष को रोकने के लिए शासन एवं प्रशासन को दखल देना चाहिए अन्यथा स्थिति विस्फोटक भी हो सकती है। कहा कि श्रमिकों की मांगों को लेकर मोर्चा निर्णायक संघर्ष शुरू करेगा। महापंचायत में कैलाश भट्ट, केके बोरा, हेमचंद्र, प्रमोद तिवारी, दलजीत सिंह, पूरन पांडेय, मुकुल, आनंद नेगी, रामगोपाल, विरेंद्र पाल, पंकज शर्मा, दिनेश भट्ट, सचिन गुलाटी, आनंद तिवारी, धनवीर, नन्दू खोलिया आदि मौजूद थे।