उत्तर प्रदेशलखनऊ

एकता एवं शांति का मार्ग प्रशस्त करेंगे विदेशों से पधारे न्यायाधीश एवं राष्ट्राध्यक्ष : कलराज मिश्र

सीएमएस में अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन का तीसरा दिन

नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुंचायेगा यह सम्मेलन मुख्य न्यायाधीशों की राय

लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 18वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन आज 56 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों एवं कानूनविदों ने जोरदार शब्दों में नई विश्व व्यवस्था की आवाज उठाई और इस दिशा में सी.एम.एस. द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। सम्मेलन में पधारे 6 देशों के प्रधानमंत्री व वर्तमान राष्ट्रपति/राष्ट्राध्यक्षों समेत उपस्थित न्यायविदों एवं कानूनविदों ने विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु सी.एम.एस. के 55,000 छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक सम्मेलन दुनिया को नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुँचायेगा। अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन का उद्घाटन रविवार को सांसद कलराज मिश्र ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि कलराज मिश्र ने कहा कि भारत सदैव ही शान्तिप्रिय देरहा है और हमारा संविधान मानवीय मूल्यों पर ही आधारित है और भारतीय संविधान की धारा-51 पर आधारित यह सम्मेलन अवष्य ही अपने उद्देष्य में सफल होगा। विश्व के अनेक देशों से पधारे न्यायाधीश एवं राष्ट्राध्यक्ष अवष्य ही एकता एवं शांति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन अपने सम्बोधन मेंचेयरमैन, हेवनली कल्चर्स वर्ल्ड पीस रेस्टोरेषन ऑफ लाईट, सियोल, दक्षिण कोरिया मैन ही लीने कहा कि हमारी संस्कृति तथा शिक्षा हमें वैश्विक शांति की शिक्षा देती है। आज की युवा अनेक चुनौतियों से जूझ रही है और इसका समाधान सभी देशों को मिलकर करना होगा। मॉरीशस के संसद की अध्यक्ष शान्तीबाई हनुमानजी नेकहा कि भारत एक महान देश है और धारा 51 यहाँ के नेताओं की दूरदर्शिता है। एकता के बिना कुछ भी सम्भव नही है और एकता हे लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। एक नई आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता है।इस अवसर पर अपने सम्बोधन में स्वाजीलैण्ड के सुपीरियर कोर्ट ऑफ जुडीकेचर के मुख्य न्यायाधीश माननीय जस्टिस मोजेज मफालाला ने कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से मिलजुलकर रहने तथा नई सामाजिक व्यवस्था का दृष्टिकोण हमें नई विश्व शान्ति की दिशा देता है। हमें भूख, गरीबी तथा निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचार को खत्म करना ही होगा। आज तीसरे दिन बहामास के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के जस्टिस सर हार्टमन जी. लॉन्गले, मैसीडोनिया के कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट के प्रेसीडेन्ट जस्टिस निकोला इवानोस्की सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण विचार रखे।
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीशों के सम्मेलन में बोलते हुए होन्डुरास के सेन्ट्रल अमेरिकन कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज न्यायमूर्ति कार्लोस हुम्बर्टो मिडेन्स बेर्नेगस ने कहा कि यदि हम विश्व में शांति व सद्भाव चाहते हैं तो हमें बच्चों को इसके महत्व के बारे में बताना होगा क्योंकि हिंसा के विरूद्ध माहौल बनाए बगैर शांति की स्थापना सम्भव नहीं है। घाना के पार्लियामेन्ट स्पीकर राइट आनरेबल प्रोफेसर आरौन माइकल ओक्वाए ने कहा कि शांति की स्थापना के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है और सैद्धान्तिक रूप से ही वैश्विक कानून बनाना सम्भव हैं जिससे शांति की स्थापना हो सकेगी। मलावी के सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील के जज माननीय न्यायमूर्ति फ्रैंक एड़गर कपाण्डा एस.सी. ने कहा कि उनका देश मलावी अपने तंजानिया के साथ विवादों को अन्य देशों की मध्यस्थता द्धारा निष्पादन के महत्व को समझता है इसलिए मलावी बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु अन्य सभी देशों से मिल कर प्रयास करने को सदैव तैयार है। सुरीनाम के सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति आनन्द कोमार चरन ने कहा कि क्योंकि लोगों की समस्याएं वैश्विक हैं इसलिए इनके समाधान राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नहीं खोजे जा सकते। महात्मा गाँधी के शब्दों में, असली खुशी तभी आयेगी जब हमारी कथनी और करनी में सामंजस्य हो। उन्होने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन में रखे गए विचार केवल दावे बन कर न रह जाएं बल्कि बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए उन पर ठोस कदम भी उठाए जाएं। अमेरिका के वर्जिनिया राज्य में स्थितरैडफोर्ड विष्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्लेन मार्टिन ने प्रेस बन्धुओं को सम्बोधित करते हुए एक विश्व संविधान लागू करने की वकालत की। उन्होने विश्व संविधान का प्रारूप प्रेस के सामने रखा। इसमें सभी देश एक अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था के अन्तर्गत आ जायेंगे और विश्व कानून सब पर समान रूप से लागू किया जायेगा।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने आज अपरान्हः सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि न्यायविदोंव कानूनविदों का कहना था कि हम लोगों के बीच संस्कृति, मान्यताओं व सामाजिक मूल्यों की विभिन्नताएं होने के बावजूद हम सब एक हैं और जब तक हम इन विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। न्यायविद्ों का कहना था कि बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। आज लोग मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनायें जिससे विश्व में न्याय हो और एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार और अन्याय समाप्त हो, सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो। डा. गाँधी ने बताया कि ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ पर आधारित यह ऐतिहासिक सम्मेलन पूरी तरह से विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं विश्व के ढाई अरब से अधिक बच्चों के सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य को समर्पित है। इस वर्ष यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था एवं प्रभावशाली वैश्विक व्यवस्था के माध्यम से बच्चों के लिए विश्व को एकताबद्ध करें’ विषय पर आयोजित किया जा रहा है। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि 56 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर जारी है जिसके अन्तर्गत एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन चल रहा है।

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