एक पहाड़ और तीन धर्मो का संगम है कौलेश्वरी पर्वत, दिलकश है यहाँ का नजारा
झारखंड के चतरा जिले के हंटरगंज ब्लॉक के 40.14 एकड़ में फैला कौलेश्वरी पर्वत हिंदू, जैन व बौद्ध धर्म का संगम माना जाता है। यहां कि खूबसूरती देखते ही बनती है, मानो स्वर्ग में हो। पहाड़ की चोटी पर मां कौलेश्वरी मंदिर, शिव मंदिर, जैन मंदिर व बौध स्थल स्थित है। इनके इर्द-गिर्द स्थित तीन झीलनुमा तालाबों की नैसर्गिकता दिलकश नजारा पेश करती है।
पहाड़ और तीर्थ क्षेत्र का उल्लेख महाकाव्य काल में मिलता है। यह बौद्धों के मोक्ष प्राप्ति का अंतिम संस्कार स्थल और जैनियों के तीर्थंकरों की तपो भूमि एवं कर्म भूमि है। यहां हर साल चीन, बर्मा, थाईलैंड, श्रीलंका, ताइवान आदि देशों से काफी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।
नवरात्र के अवसर पर तो भक्तों की पूरी हुजूम यहां उमड़ती है। लोगों की कौलेश्वरी देवी मां पर पूरी आस्था रहती है, कहते है उनके दर्शन मात्र से भक्तों के सारे दुख दूर हो जाते हैं।
कौलेश्वरी सिद्धपीठ के रूप में चिन्हित है। इसका उल्लेख दुर्गा सप्तशती में मिलता है। इसमें कहा गया है-“कुलो रक्षिते कुलेश्वरी”। अर्थात कूल की रक्षा करने वाली कुलेश्वरी। किवदंती है कि श्रीराम, लक्ष्मण सीता ने वनवास काल में यहां समय व्यतीत किया था। यह भी मान्यता है कि कुंती ने अपने पांचों पुत्रों के साथ अज्ञातवास का काल यहीं बिताया था। यह भी कहा जाता है कि अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का विवाह मत्स्य राज की पुत्री उत्तरा से यहीं हुआ था।