बता दें कि चुनावी वर्ष में मोदी सरकार दलितों के मुद्दे पर उलझ गई है। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव लाने और उच्च शिक्षा संस्थानों में नियुक्ति के लिए नया रोस्टर तय कराने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गोयल की एनजीटी के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति मोदी सरकार के गले की फांस बन गई है। इस फैसले से जहां भाजपा के अपने सांसद नाराज हैं, वहीं सहयोगियों लोजपा और आरपीआई से भी सरकार को चुनौती मिल रही है। घटकों ने 8 अगस्त तक जस्टिस गोयल को हटाने का अल्टीमेटम दिया है।
रामविलास पासवान ने राजग के दलित सांसदों के साथ बैठक थी, जिसके बाद भाजपा सांसद उदित राज ने भी सरकार पर निशाना साधा था। इसके बाद लोजपा सांसद चिराग पासवान ने कहा था कि जस्टिस गोयल की एनजीटी अध्यक्ष के तौर पर हुई नियुक्ति दलितों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला है।
उन्होंने कहा था कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ अब तक अध्यादेश जारी न होना निराशाजनक है। चिराग ने साफ तौर पर कहा कि अगर 8 अगस्त तक जस्टिस गोयल को नहीं हटाया गया, तो 9 अगस्त को देशव्यापी आंदोलन होगा। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल विदेश गए प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेश लौटने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
सरकार की मुश्किल यह है कि एनजीटी के अध्यक्ष को हटाना इतना आसान नहीं है। एनजीटी एक्ट के मुताबिक सरकार इसके अध्यक्ष या सदस्य को मानसिक रूप से अस्वस्थ होने, भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने, अपने पद का दुरुपयोग करने, आरोप लगने पर सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज की जांच में दोषी पाए जाने पर ही हटा सकती है। ऐसे में उन्हें पद से हटाने का सरकार के पास कोई कारण नहीं है।