![एनडी तिवारी ने 50 रुपयों के साथ घर से भागकर की थी पढ़ाई](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/10/1539862423-narayan-1.jpg)
वर्ष 2014 में अपने जैविक पुत्र रोहित शेखर को अपनाने तथा उज्ज्वला शर्मा से बाकायदा विवाह के बाद 2015 में तिवारी उन दोनों के साथ नैनीताल आये थे। उस वक्त उन्होंने अपने जीवन के कुछ रोचक किस्से बयां किए थे। उस दौरान वह नैनीताल सीआरएसटी गए, जहां 1936 में ग्यारह वर्ष की उम्र में उन्होंने भी दाखिला लिया था। इस दौरान तिवारी ने उज्ज्वला शर्मा व रोहित के साथ उसी कक्षा की बेंच में बैठ कर पुरानी यादें ताजा कीं जिसमें वे कभी बतौर विद्यार्थी बैठा करते थे।
उपस्थित लोगों को तिवारी ने बताया कि 1936 में 11 वर्ष की उम्र में वे अपने रिश्तेदार हरि दत्त जोशी की उंगली पकड़ कर पहली बार इस विद्यालय में आये थे। अध्यापक फ्रेंक रावत तथा शिक्षा इंस्पेक्टर हरीश चंद्र ने उनसे अंग्रेजी के स्नेल शब्द का अर्थ पूछा। तिवारी ने बताया था कि उन्होंने तुरंत बता दिया कि स्नेल यानी घेंघा। उनके त्वरित उत्तर से प्रसन्न होकर अध्यापकों ने उन्हें एक कक्षा आगे प्रवेश दिया। बाद में प्रथम श्रेणी में हाई स्कूल उत्तीर्ण कर तिवारी ने अपने अध्यापकों के निर्णय को सही साबित किया।
अत्यंत गरीबी के कारण वे इंटर में प्रवेश नहीं ले सके और प्राइवेट विद्यार्थी के रूप में 1941 में इंटर उत्तीर्ण किया। घर की माली हालत खराब होने के कारण उनके पिता उन्हें आगे पढ़ाने के इच्छुक नहीं थे। तिवारी जुलाई 1944 में घर से भागकर प्रयाग चले गए जहां उन्होंने तुलसी महाराज के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाया। घर से भागने में उनके चाचा बच्चीराम ने 50 रुपये देकर उनकी मदद की थी।
तिवारी को स्कूली दिनों में छात्र व अध्यापक प्यार से नरैण बुलाते थे। राजनैतिक जीवन में भी वे नरैण दा नाम से प्रसिद्ध रहे। उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा, जब वे उच्च शिक्षा के लिए घर से भाग कर प्रयाग गए तब उनके पास मात्र एक धोती, फटा हुआ एक कंबल और 50 रुपये थे। न रहने खाने का ठिकाना था न इलाहाबाद में किसी से परिचय।
कौन सोच सकता था कि तब पाई-पाई को मोहताज बालक अपनी प्रतिभा के बूते एक दिन देश का वित्त मंत्री बन कर राष्ट्र का बजट बनाएगा, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री बन कर देश की उद्योग नीति तय करेगा। तिवारी ने उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड नौ बार और 1988 में देश का बजट प्रस्तुत किया था।