एनिमेटिड योग मुद्राओं के जरिए गूगल ने दी बीकेएस आयंगर को जन्मदिन की बधाई
नई दिल्ली: “खुद को भीतर से देखने के लिए योग एक दर्पण की तरह है”। – बीकेएस आयंगर
योग, केवल शरीर के स्तर को लाभ पहुंचाने के लिए ही नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तरह से फिट रहने की भी प्रेरणा देता है। योग, पूर्व-वैदिक भारतीय परंपराओं से चलता आ रहा है। संस्कृत शब्द ‘योग’ का अर्थ जड़ से “जुड़ना”,“मिलना”, “सम्मिलित होना” और “बंधना” है। जहां मॉर्डन लाइफ के कई लाभ हैं, वहीं कुछ परेशानियां भी हैं। आज के समय में हर प्रकार के शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के प्रभावों को कम करने के लिए कई प्रकार के योग मौजूद हैं। योग की शाखाओं के बीच, एक विशेष तरह का योग उपस्थित है, जिसका अनुभव हर व्यक्ति ले सकता है, वह है आयंगर योग।
योगाचार्या बी.के.एस. आयंगर (बेल्लूर कृष्णामाचार्या सुंदराराजा आयंगर) के नाम पर रखे जाने वाला ये सबसे पुराना योग है। यह एक प्रकार का हाथा योग है, जो कि हर तरह की मुद्राओं (आसन) की शुद्धता और रेखा पर जोर देता है। बी.के.एस. आयंगर ने अभी तक करीब 200 क्लासिकल योगासन और 14 तरह के प्रणायाम (सांस रोकना) को व्यवस्थित किया है। प्रणायाम की कई विभिन्नताएं हैं, जो कि बेसिक से लेकर एडवांस तक शामिल हैं। इस योग को अनोखा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि व्यक्ति इसमें कई तरह के प्रॉप्स (आधार) का इस्तेमला कर मुद्रा को बेहतर बना सकता है।
आयंगर योग, योग में “योग प्रॉप्स” की वज़ह से मशहूर हुआ है। इसमें व्यक्ति बेल्ट, कुशन, सैंडबैग, ब्लॉक्स, लकड़ी का सामान, रस्सी और ब्लैंकेट आदि जैसी चीज़ों को शामिल कर सकता हैं। ये सभी चीज़ें ऐसी हैं, जो व्यक्ति को घाव देने या थकान होने से बचाती हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण, हर उम्र का व्यक्ति इस प्रकार के योग को कर सकता है।
आसन
तो आइए जानें कुछ आसान और रोचक आयंगर योगासन, जिसे आप प्रॉप्स की मदद से कर सकते हैं:-
परीपुर्णासन नवासन
यह मुद्रा फुल बोट के नाम से जानी जाती है। आयंगर योग में यह आसन, योग शुरू करने वालों द्वारा किया जा सकता है। इस आसन को आप प्रॉप जैसे ब्लॉक या कुर्सी की मदद से कर सकते हैं।इस आसन को करने से आप पेट में कोर की मांसपेशियों को मज़बूत करने के साथ कूल्हे की मांसपेशियों को बेहतर कर सकते हैं। इसके अलावा कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों की वृद्धि कर छोटी और बड़ी आंत को टोंड कर सकते हैं। ये आसन आपकी पाचक क्रिया को अच्छा कर किडनी, थाएरोइड, आंच और प्रोस्टेट ग्लैंड को उभारने में मदद करता है।
पश्चिमोत्तासन
इस आसन में आप खुद को प्राकृतिक रूप से अंदर की ओर मोड़ते हैं। इस मुद्रा को करने के लिए आपको धैर्य और अनुशासन की ज़रूरत है। इस आसन में आप अपनी कमर के हिस्से को स्ट्रेच करते हैं। यह मुद्रा कुशन की मदद से हासिल की जा सकती है।
इस मुद्रा से आप दिमाग को शांत कर स्ट्रेस और डिप्रेशन को कम करते हैं। इसमें रीढ़ की हड्डी, कंधे और रान की नसों में खिंचाव पैदा होता है। यह लिवर, किडनी, ओवरी और यूट्रस को बढ़ावा देता है। यह पाचन क्रिया को बेहतर कर मेनोपॉज़ और मासिक धर्म में होने वाली परेशनियों को बेहतर करता है।
विपरीत दंडासन
यह आसन सिर्सासन (सर के बल) और उर्ध्वधनुरासन (मुंह को ऊपर की ओर करना) का जोड़ है। यह मुद्रा प्रॉप्स जैसे मैट्स, कुर्सी और कुशन की मदद से किया जा सकता है।
इस आसन से कमर की चर्बी कम होने के साथ कंधों की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। यह अंद्रूनी अंगों को टोंड कर सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पुनर्जीवित करता है।
भरदवजासन
आयंगर की यह योग मुद्रा कुर्सी पर की जाती है। यह मुद्रा स्पाइन, कंधे और हिप्स में खिंचाव पैदा करती हैं। कमर की निचले हिस्से में दर्द, गर्दन के दर्द और साइटिका में आराम देता है। यह आसन तनाव से मुक्ती देते हुए पाचन को सुधारने में मदद करता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कमर के निचले हिस्से को मजबूत बनाता है। इसके अलावा कमर, घुटने और कंधों को ज़्यादा लचीला बनाने में मददगार है।
सुप्तवीरासन
सुप्त वीरासन में कमर के बल लेटकर शरीर को आराम दिया जाता है। दोनों हाथों को जमीन पर ही ढीला छोड़ दिया जाता है, हथेलियों को ऊपर की ओर रखा जाता है। यह मुद्रा आयंगर, कुशन या कंबल की मदद से करते थे। अभ्यास के दैरान कुशन या कंबल को कमर के निचले हिस्से में लगा लिया जाता है।
इस आसान से पेट, जांघ, हिप्स, घुटने और टकनों में खिंचाव पैदा होता है। यह आर्च को मज़बूत बनाता है। थकी हुई टांगों में आराम देता है। साथ ही पाचन क्रिया के सुधारते हुए मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में भी आराम पहुंचाता है।
इनके अलावा, आयंगर के योग में कई प्रॉप्स के साथ अभ्यास करने वाले आसन भी है। हर आसान का अपना अलग लाभ है, जो कि शारीरिक और मानसिक स्थिति से लड़ने में मदद करता है।
आंयगर का योग दूसरे योग से कैसे अलग है?
आयंगर का योग, दूसरे योग से कई तरीकों से अलग है। आयंगर योग मुद्रा ज़्यादा जटिल है, फिर भी इनके आसान को अभ्यासकर्ता लंबे समय तक रोक कर सकते हैं। अभ्यासकर्ता प्रणायाम के लिए तभी आगे बढ़ सकते हैं, जब वे आसन में माहिर हो जाते हैं। कुछ आसनों में, मुद्राओं की प्रभावी सफलता के लिए प्रॉप्स का भी इस्तेमाल किया जाता है।