‘एमपीसी पर सरकार और रिजर्व बैंक में कोई मतभेद नहीं’
इंदौर: नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करने वाली प्रस्तावित समिति को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक में मतभेद की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए बैंक के उप गर्वनर एस एस मूंदड़ा ने कहा कि समिति के ढांचे को लेकर दोनों पक्षों के बीच चर्चा जारी है। मूंदड़ा ने सामाजिक संस्था ‘इंदौर राउंड टेबल’ के एक कार्यक्रम में कल रात हिस्सा लेने के बाद संवाददाताआें से अनौपचारिक बातचीत में कहा, “मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) पर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच कोई मतभेद नहीं है। इस समिति की स्थापना का प्रस्ताव रिजर्व बैंक की ही आेर से कुछ समय पहले दिया गया है। विश्व के कुछ देशों में पहले ही इस तरह की व्यवस्था चल रही है।” उन्होंने बताया कि प्रस्तावित एम.पी.सी. के ढांचे के बारे में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच पहले भी चर्चा हुई थी और यह बातचीत अब भी जारी है। मूंदड़ा ने एक सवाल के जवाब में कहा, “हमने एेसा नहीं कहा है कि हमारी नीतिगत ब्याज दरों में निकट भविष्य में कटौती की कोई संभावना नहीं है लेकिन हम इस सिलसिले में कोई कदम उठाने से पहले इस बात का जायजा लेंगे कि नीतिगत ब्याज दरों में हमारे द्वारा की गई पिछली कटौतियों का फायदा बैंक अपने ग्राहकों को किस तरह पहुंचा रहे हैं।”
उप गवर्नर ने कहा कि नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के मामले में रिजर्व बैंक का कोई भी फैसला इस बात पर भी निर्भर होगा कि देश की अर्थव्यवस्था के बारे में किस तरह के आंकडे सामने आते हैं। मूंदड़ा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘खासकर सरकारी क्षेत्र के बैंकों में गैर निष्पादित आस्तियों (एन.पी.ए.) का प्रतिशत ज्यादा है और इसे लेकर एक चिंता है। हमने पिछले चार-पांच महीने में इस सिलसिले में कई संतुलित कदमों की घोषणा की है। इन कदमों में सरकारी बैंकों के एन.पी.ए. को नियंत्रित करने के लिए सख्ती के किए गए उपाय शामिल हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि अगर कोई उद्यम वास्तव में वित्तीय तकलीफों से घिरा है, तो उसे इस स्थिति से बाहर निकलने में उसकी मदद किस तरह की जा सकती है।” देश में प्लास्टिक करैंसी चलाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर रिजर्व बैंक के उप गर्वनर ने कहा, “सरकार के कुछ विभागों ने इस योजना के बारे में अपनी राय दे दी है जबकि कुछ एजैंसियां इस बारे में जांच कर रही हैं। इस योजना पर काम जारी है।”