एसोचैम का सरकार से आग्रह, कर मुक्त बचत की सीमा 2.5 लाख रुपये की जाए
नई दिल्ली: उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने रविवार को सरकार से आग्रह किया कि कर मुक्त बचत की सीमा वर्तमान 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की जाए और घरेलू मांग बढ़ाने के उद्देश्य से वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती फिर से बहाल की जाए।
एसोचैम ने यहां एक बयान में कहा, ‘सरकार को दीर्घावधि बचत पर कटौती की सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करनी चाहिए और वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती की व्यवस्था फिर से लागू करनी चाहिए, जिससे मांग बढ़ेगी और उससे आर्थिक विकास की गति बढ़ेगी।’
बयान के मुताबिक, ‘वेतनभोगियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से मानक कटौती वेतन का एक-तिहाई या दो लाख रुपये, जो भी कम हो, लागू की जानी चाहिए।’
बजट से पहले वित्त मंत्रालय को भेजे गए अपने ज्ञापन में आवासीय ऋण के ब्याज पर कटौती वर्तमान दो लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने और मूल धन के चुकता पर भी कटौती की सीमा वर्तमान एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का अनुरोध किया गया है।
वेतनभोगियों को लाभ पहुंचाने के लिए संघ ने अवकाश नकदीकरण पर छूट (लीव एनकैशमेंट एक्जेंप्शन) की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने के सुझाव दिए हैं।
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, ‘केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने तीन लाख रुपये की वर्तमान सीमा 1998 में लागू की थी और इसमें काफी वृद्धि करने की जरूरत है।’
एसोचैम ने मकान किराया और परिवहन भत्ता पर छूट की सीमा भी बढ़ाने का अनुरोध किया।
बयान के मुताबिक, परिवहन भत्ता पर छूट की सीमा बढ़ाकर प्रति महीने तीन हजार रुपये की जानी चाहिए।
बयान में यह भी सिफारिश की गई है कि कम आय वाले वेतनभोगियों द्वारा अधिकतम दो बच्चों की शिक्षा पर प्रति महीने मान्यता प्राप्त स्कूलों में किए गए अधिकतम 1000 रुपये (प्रत्येक) भुगतान को कर की गणना करने के लिए वेतन में से कटौती करने की अनुमति दी जानी चाहिए और इसके लिए कानूनी व्यवस्था की जाए।
एसोचैम ने पेशेवर की तरह वेतनभोगियों के लिए भी मूल्यह्रास भत्ता शुरू करने की सिफारिश की है। बयान में कहा गया है कि अभी इसकी सुविधा सिर्फ व्यवसाय और पेशेवरों को दी गई है। एक वेतनभोगी जब संपत्ति खरीदता है, तो समय के साथ उसकी कीमत भी घटती है। इस मूल्यह्रास के लिए उसे अभी कोई कर छूट नहीं मिलता है।