कश्मीर मसले को लेकर शुक्रवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा बयान दिया है. पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा है.
जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा, ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जम्मू-कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है. कश्मीर मसला बिना पीओके के लोगों को शामिल किए हल नहीं किया जा सकता.’ यही नहीं, पीएम ने कहा कि पीओके के वो लोग जो दूसरी जगह रह रहे हैं, उन्हें भी वार्ता में शामिल किया जाना जरूरी है.
गौरतलब है इससे पहले राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कश्मीर हिंसा पर चर्चा के दौरान कहा था कि पड़ोसी पाकिस्तान से अब बात पाक अधिकृत कश्मीर पर ही होगी. उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर मसले पर सरकारसभी पक्षों से बात करने को तैयार है.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरुण जेटली शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे सर्वदलीय बैठक को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
पढ़िए, सर्वदलीय बैठक में PM मोदी ने क्या कहा, जस का तस-यह बड़ी खुशी की बात है, कि सभी साथियों ने एक स्वर, और एक भावना व्यक्त की है. आज जब हम जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं, तो हमें जम्मू-कश्मीर राज्य के चार भागों की बात करनी चाहिए: जम्मू, कश्मीर-घाटी, लद्दाख, और पाक-अधिकृत कश्मीर.
मैं सभी राजनैतिक दलों के नेताओं का आभारी हूं कि उन्होंने जम्मू और कश्मीर के इलाकों में मौजूदा स्थिति के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है. लोकतंत्र द्वारा पिछले छह दशकों से पोषित समृद्ध परंपरा हमारे देश की एकता और अखंडता की सबसे बड़ी ताकत रही है. कुछ मुद्दों पर हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब देश की अखंडता और संप्रभुता की बात आती है तब हम एकजुट रहते हैं.
जम्मू व कश्मीर में हाल ही में हुई घटनाओं से हर भारतीय की तरह, मेरे हृदय को भी काफी गहरा दुख पहुंचा है. मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि बच्चे अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, सेब का उत्पादन मंडियों तक पहुंच नहीं पा रहा, दुकानदारों की दैनिक आमदनी नहीं हो रही है और सरकारी कार्यालय लोकहित के कार्य नहीं कर पा रहे हैं. इस स्थिति से सबसे अधिक गरीब प्रभावित है.
हम पॉलिटिकल वकर्स का अस्तित्व तो लोगों की वजह से ही है. ये हमारी ताकत हैं, हमारी ऊर्जा का स्रोत हैं. वास्तव में, जनशक्ति हमारे सार्वजनिक जीवन का अहम हिस्सा हैं. चाहे कोई भी हताहत हो, नागरिक हों या फिर सुरक्षा बल, दुख हम सब को होता है. उनके परिवारों के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है. घायल हुए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और साथ ही हम जल्द से जल्द घाटी में शांति स्थापित करना चाहते हैं ताकि यहां के लोग अपना सामान्य जीवन जी सकें, अपनी रोजी-रोटी कमा सकें, अपने बच्चों को पढ़ा सकें और रात में सुकून से सो सकें.
हम कश्मीर के मुद्दे का संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप स्थाई और शांतिपूर्वक हल के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम खुले विचारों वाले हैं और हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं. हम पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य के हर नागरिक के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. समाधान ढूंढने के लिए, हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते रहे हैं.
जम्मू और कश्मीर को अक्सर भारत का ताज कहा जाता है. असल में जम्मू और कश्मीर सर्व पंथ सम्भाव की सदियों पुरानी प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जहां पर हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं मुसलमान सदियों से एक साथ रहते आए हैं. जम्मू-कश्मीर राज्य हमारे फाउंडिंग फादर्स के उस विश्वास का प्रतीक है जो हमे हमारी विविधताएं होते हुए भी, हमे एक भारतीय के रूप में, उजागर करता है. जम्मू और कश्मीर न केवल हमारी क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा भी है. हम इन हकीकतों से इनकार नहीं कर सकते कि सुरक्षा बलों ने हर प्रकार की चोटें सही हैं, उनके ऊपर सुनियोजित हमले हुए हैं, इसके बावजूद भी सुरक्षा बलों ने संयम दिखाया है. आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बल बड़ी संख्या में घायल हुए हैं.
कुछ तत्वों के दुष्प्रचार के बावजूद, कश्मीर में भ्रम और अशांति फैलाने वालों, और बच्चों को उकसाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है. हर कश्मीरी अमन चैन चाहता है और लोकतंत्र में विश्वास रखता है. इसलिए लगातार चुनाव के बाद चुनाव में, कुछ अलगाववादी तत्वों द्वारा दी गई धमकियों के बावजूद, कश्मीर की जनता ने लोकतंत्र के इस हर पावन पर्व पर भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी आस्था व्यक्त की. यहां तक कि वर्तमान अशांति से कुछ दिन पूर्व ही मुख्य मंत्री महबूबा जी की विधानसभा क्षेत्र में जमकर वोट डाले गए तो यह भ्रम फैलाना कि यह जन आंदोलन है यह भी सत्य से एकदम परे है.
कुछ इलाकों में, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ प्रतिबन्ध लगाए गए. यह कानून व्यवस्था को बनाए रखने का एक कानूनी कदम है. अन्यथा शान्तिप्रिय जनसमूह के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वास्तव में, आम नागरिकों को इतनी परेशानी इन प्रतिबंधों से नहीं हुई, जितनी कि अलगाववादी तत्वों द्वारा लगातार दिए जा रहे हड़ताल के कैलेण्डर से हुई.
इसी दौरान, अमरनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक आयोजन होता रहा. साथ ही, लदाख में सौर ऊर्जा पर भी राज्य सरकार विशेष कार्य कर रही है. NEET, CET, UPSC की सिविल सर्विसेज परीक्षा का संचालन सुचारू रूप से किया गया. यहां तक कि सभी जरूरत की वस्तुएं आम नागरिकों को उपलब्ध कराई गई. आने वाला समय पर्यटन के लिए सबसे अहम है. साथ ही सेब की फसल भी आने वाली है जो कि कश्मीर के आम नागरिकों की जीविका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कुछ अलगाववादी तत्व इस समय का फायदा उठाकर कश्मीर के अमन और शांतिप्रिय नागरिकों को अनावश्यक बाधा पहुंचाने की चेष्ठा कर रहे हैं.
कश्मीर में अशांति की जड़ क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म है, जिसको मुख्यतः पड़ोसी देश से प्रोत्साहन मिलता है. आतंकवाद के कारण कश्मीर में आम जन जीवन प्रभावित है. कश्मीर में जब से आतंकवाद 1989-1990 से प्रारंभ हुआ, तब से अब तक सुरक्षाकर्मियों की कार्यवाही में
• 34 हजार से ऊपर AK 47 राईफल बरामद हुए
• 5 हजार से ऊपर ग्रेनेड लॉन्चर बरामद हुए
• करीब 90 लाइट मशीन गन्स बरामद हुई
• 12 हजार से ऊपर पिस्तौल और रिवॉल्वर बरामद हुए
• 3 एंटी टैंक, और 4 एंटी एयर क्राफ्ट गन्स बरामद हुए
• 350 से अधिक मिसाइल लॉन्चर बरामद हुए
• आरडीएक्स समेत 63 हजार किलो विस्फोटक, एक लाख से अधिक ग्रेनेड आदि बरामद हुए हैं
• इस अवधि में 5 हजार से अधिक विदेशी आतंकवादी, जो कि 5 बटालियन के बराबर हैं, मारे गए हैं
इतने हथियार बरामद हों, इतने विदेशी आतंकवादी घाटी में मार-काट हेतु आएं हों, फिर पाकिस्तान चाहे लाख झूठ बोले, तो भी दुनिया कभी उसके दुष्प्रचार को स्वीकार नहीं करेगी. पाकिस्तान भूल जाता है कि वह अपने देश के नागरिकों पर लड़ाकू विमान से बम बरसाता है. अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को विश्व के सामने बलूचिस्तान में और पाक-अधिकृत कश्मीर में लोगों पर हो रहे अत्याचारों का जवाब देना होगा.
हम लोगों के बुनियादी अधिकारों के लिए पूर्णतः कटिबद्ध हैं. आतंकवाद के विरुद्ध भी, हमारे कानून जितने मानवीय हैं, उतने विश्व के और किसी लोकतंत्र में नहीं हैं. हमारी सरकारों और हमारी सुरक्षा बलों नें इन घटनाओं से निपटने में संयम को दर्शाया है. भारत, आतंकवाद का मुकाबला पूरी शक्ति और संकल्प से करेगा. यह हमारा राष्ट्रीय दायित्व है.
भारत, कानून के नियमों के लिए प्रतिबद्ध है, इसे भारत की कमजोरी समझना विरोधी ताकतों की बड़ी भूल होगी. भारत आतंकवाद को समाप्त करने के लिए संकल्प-बद्ध हैं. हमारे लिए साधन और साध्य दोनों ही महत्वपूर्ण हैं और हम दोनों का निर्वाह करने में सक्षम हैं.
एक वास्तविकता यह भी है कि कश्मीर घाटी में सदियों से रह रहे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने पूर्वजों के घरों से विस्थापित किया गया है. एक समुदाय विशेष के विरुद्ध इस प्रकार की ज्यादती पाकिस्तान में प्रशिक्षित, पाकिस्तान द्वारा हथियारों से लैस किए गए आतंकवादियों एवं उनसे सहानुभूति रखने वालों का काम है. यह कदापि कश्मीरियत में विश्वास रखने वालों का काम नहीं है.
जम्मू एवं कश्मीर के सर्वागीण विकास के लिए पिछले दिनों ही राज्य सरकार की राय से 80 हजार करोड़ से ऊपर का एक विकास पैकेज पर फैसला लिया गया है. इस पैकेज के अंतर्गत केवल सड़क और बिजली के प्रोजेक्ट्स ही नहीं बल्कि जम्मू एवं कश्मीर के हर क्षेत्र व हर वर्ग के संपूर्ण विकास का ध्यान रखा गया है. बच्चों को अच्छी शिक्षा की सुविधा, युवाओं को रोजगार, चिकित्सा के लिए आधुनिक सुविधाएं, राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं, राज्य में फलों के उत्पादन के लिए विशेष सुविधा आदि शामिल हैं.
तुरंत रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार ने फैसला लिया है कि 10 हजार विशेष पुलिस अधिकारी (SPO), लगभग 1200 पैरा मिलिट्री व 5 IR बटालियन में लगभग 4000 पदों पर नियुक्ति की जाएगी. इसके अतिरिक्त उड़ान व HIMAYAT योजना में लगभग 1 लाख 25 हजार लोगों को प्रशिक्षण कराने का उद्देश्य है ताकि बेरोजगारों को उचित रोजगार मिल सके.
सुश्री महबूबा मुफती के नेतृत्व वाली राज्य की पीडीपी बीजेपी सरकार राज्य की समस्याओं को दूर करने का बेहतर प्रयास कर रही है. सरकार ने पिछले एक महीने में, विषम परिस्थितियों के बावजूद, स्थिति को बहुत ही सावधानीपूर्वक संभाला है. पूरा देश आज उनके साथ खड़ा है.
मैं फिर से यह बात दोहराना चाहूंगा कि केंद्र और राज्य की सरकारें यहां के लोगों की सभी जाय़ज शिकायतों को दूर करने और शांति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हिंसा, आतंकवाद और भारत विरोधी अन्य गतिविधियों से सख्ती से निपटा जाएगा, वहीं हर किसी व्यक्ति की जाय़ज शिकायतों को सुना जाएगा और उन्हें दूर किया जाएगा.
मैं इस बात पर पुनः बल देना चाहूंगा कि आतंकवाद और विध्वंस का जवाब हम सभी राजनीतिक दलों एवं देशवासियों को मिलकर देना होगा. आज जब आतंकवाद पूरे विश्व में बढ़ रहा है, ऐसे समय में हम जब पड़ोसी देश से शह पाए हुए आतंकवाद से घिरे हुए हैं, हमें इस लड़ाई के खिलाफ एक जुट होकर लड़ना होगा. सरकार की सभी राजनीतिक दलों से इस विषय पर रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा है. सभी राजनीतिक दलों को अपने मतभेदों को इस विषय पर भुलाकर राज्य में शांति-व्यवस्था और खुशहाली कायम करने में सहयोग करना होगा. मुझे पूर्ण विश्वास है कि राज्य सरकार की लगन से और आप सब के पूर्ण सहयोग से हम शीघ्र ही जम्मू एवं कश्मीर में पुनः सामान्य जीवन स्थापित कर पाएंगे.
कश्मीर में अब तक जो मुख्य कदम एवं हमारी नीति रही है उसे मैं एक बार पुनः दुहराना चाहूंगा:
1) कानून व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखना किसी भी सरकार का दायित्व होता है. आतंक की कार्यवाही से समझौता नहीं होगा.
2) आज के युग में लोकतांत्रिक परंपरा के अनुकूल ही सिविल सोसाइटी को नागरिक गतिविधियों से जोड़ते हुए, प्रोत्साहित किया जाएगा
3) हम लोकतंत्र की परम्परा के अनुकूल ही राजनीतिक प्रक्रिया को आदरपूर्वक और बढ़ाएंगे और
4) कश्मीर के नवयुवकों को भी राज्य की सक्रिय आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने की व्यवस्था में तेजी लाएंगे.
5) जिन राज्यों में जम्मू-कश्मीर राज्य के लोग रह रहे हैं, चाहे वो हिन्दू हों, मुसलमान हों, सिख हों, या बौद्ध हों, या किसी भी धर्म के हों, उन राज्यों को उनसे संपर्क साधना चाहिए, और यह प्रयत्न करना चाहिए कि वे जम्मू-कश्मीर में रह रहे अपने सगे-संबंधों से संपर्क साध सकें और अपनी, और भारत के दूसरे प्रदेशों में हो रही प्रगति का विवरण दे सकें.
6) विदेश मंत्रालय को प्रयत्न करना चाहिए कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के वासी जो विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे हैं, उनसे संपर्क साधें और उनसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की दयनीय स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करें, और विश्व समुदाय को उसकी जानकारी दें.
मैं आप सभी को एक बार फिर से इस बैठक में अपने महत्वपूर्ण सुझाव व विचार रखने के लिए धन्यवाद देता हूं. सरकार की मदद करने के लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं. हम सब इस राष्ट्रीय भावना के प्रति प्रतिबद्ध है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता. संविधान के दायरे में हम सभी वर्गों की शिकायतों को दूर करने के लिए तैयार हैं