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कभी स्कूल फीस के पैसे नहीं थे, आज स्वीडन में वैज्ञानिक हैं डा. रविकान्त

दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के बूते सीएमएस के पूर्व छात्र ने कायम की मिसाल
स्वीडन में प्रोफेसर डा. रविकान्त का लखनऊ आगमन पर हुआ भव्य स्वागत

-डी.एन. वर्मा

लखनऊ। यदि मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो और लक्ष्य के प्रति कड़ी मेहनत की जाय तो सफलता मिलने की सौ फीसदी गारंटी होती है, संसाधनों और पैसे की कमी इसमें कभी भी रुकावट नहीं बन सकती। इस सूत्र वाक्य को सच करके दिखाया है सीएमएस के पूर्व छात्र रहे डा. रविकान्त ने। बेहद गरीबी और अभावों के बीच पले-बढ़े रविकान्त इस समय स्वीडन की गोटेनब्रग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रहे हैं। प्रोफेसर रविकान्त अपनी इस सफलता का श्रेय सीएमएस संस्थापक डा. जगदीश गांधी को देते हैं और उनको अपना आदर्श मानते हैं। नवरात्रि के अवसर पर प्रोफेसर रविकान्त एक दिन के प्रवास पर राजधानी पधारे। लखनऊ में रविकान्त ने सबसे पहले शिक्षाविद् तथा सीएमएस संस्थापक-प्रबन्धक डा. जगदीश गांधी तथा डा. भारती गांधी का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर सीएमएस परिवार की ओर से प्रोफेसर रविकान्त का भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर लखनऊ के समाजसेवी प्रदीप कुमार सिंह तथा दतिया जिले के शैक्षिक विचारक मोहर सिंह भी उपस्थित थे। डा. जगदीश गांधी की तरफ से सभी को उपहार स्वरूप प्रेरणादायी पुस्तकें भेंट की गयी। डा. रविकान्त ने सिटी मोन्टेसरी स्कूल के हेड, इण्टरनेशनल रिलेशन, शिशिर श्रीवास्तव से भी विचार-विमर्श किया।
रविकान्त की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस), लखनऊ में हुई। पढ़ने में बेहद मेधावी रहे रविकान्त के पास उस समय स्कूल की फीस देने के पैसे नहीं थे। सीएमएस संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने रविकान्त की प्रतिभा को देखते हुए उनकी निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था करते हुए हर तरह से सहयोग दिया और परिणाम आज सामने है। डा. रविकान्त को शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने की प्रेरणा डा. जगदीश गांधी से बचपन में मिली थी। सिटी मोन्टेसरी स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही रविकान्त का चयन भारत सरकार की आवासीय छात्रवृत्ति के लिए हो गया था, जिसके अन्तर्गत उन्होंने नासिक तथा इन्दौर में आवासीय पब्लिक स्कूलों में रहकर कक्षा 12वीं तक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद आईआईटी, बाम्बे से बी.टेक तथा एम.टेक किया। उसके बाद रविकान्त का चयन हांगकांग की यूनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप के साथ चयन हो गया। वर्तमान में रविकान्त स्वीडन की गोटेनब्रग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में जलवायु परिवर्तन तथा वायुमण्डलीय विषय पर रिसर्च कर रहे हैं। रविकान्त की धर्मपत्नी भी स्वीडन में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।
डा. रविकान्त ने राजधानी के न्यू हैदरगंज स्थित लखनऊ पब्लिक एकाडमी तथा जे.एस. इन्स्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर एवं कोचिंग सेन्टर भी गये तथा बच्चों एवं शिक्षकों से भी मिलकर उन्हें अपने अनुभव बताये। इस अवसर पर संस्थान के डायरेक्टर ओमप्रकाश, इंचार्ज गुंजन तिवारी तथा कोआर्डिनेटर नवीन द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। डा. रविकान्त ने शिक्षकों को तेजज्ञान फाउण्डेशन, पुणे के संस्थापक सरश्री तथा डा. जगदीश गांधी द्वारा लिखित प्रेरणादायी पुस्तकें भेंट करके सम्मानित किया। डा. रविकान्त का जन्म उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के छेड़ी बसायक गांव में हुआ। हमीरपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है जो कि प्रदेश का बेहद पिछड़ा और गरीब जिला है। ऐसी जगह से निकलकर विदेश में कामयाबी का परचम लहराना निश्चित ही छात्रों के लिए प्र्रेरणादायक है। रविकान्त भारत उदय मिशन के माध्यम से ग्रामीण विकास में वर्ष 2007 से सक्रिय हैं। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने गांव में 100 एकड़ जमीन में जैविक खेती के द्वारा गांववासियों को रसायनमुक्त तथा लाभकारी खेती करने की सीख दे रहे हैं। साथ ही उन्होंने भारत उदय कर्मयोगी आश्रम की स्थापना भी की है। इसी प्रांगण में एक गुरुकुल का निर्माण भी करा रहे हैं। इस गुरुकुल में प्रारम्भिक अवस्था से भारतीय संस्कारों पर आधारित आधुनिक शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था करवा रहे हैं। इस गुरुकुल में विशेषकर ग्रामीण बच्चों के लिए आवासीय व्यवस्था भी रहेगी। डा. रविकान्त अपने आश्रम में इण्टरनेशनल रिसर्च सेन्टर की स्थापना भी की है जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के विज्ञान में रुचि रखने वाले युवाओं का मार्गदर्शन दिया जाता है।

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