हिंदू धर्म शास्त्रों में अनेक व्रतों का उल्लेख है, जिसे करने से भगवान शिव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। ऐसा ही एक व्रत है प्रदोष। यह व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार यह व्रत 8 दिसंबर, मंगलवार को है।
मंगलवार को प्रदोष व्रत होने से इस व्रत को मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंगल प्रदोष व्रत करने से ऋणों व रोगों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है। मंगल प्रदोष व्रत की विधि इस प्रकार है-
व्रत विधि
प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें।
शिवजी की षोडशोपचार (16 सामग्रियों से) पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जाप करें। रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती (व्रत करने वाला) को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
मंगलवार को प्रदोष व्रत होने से इस व्रत को मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंगल प्रदोष व्रत करने से ऋणों व रोगों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है। मंगल प्रदोष व्रत की विधि इस प्रकार है-
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती (व्रत करने वाला) को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।