27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण लगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटे 55 मिनट रही। ग्रहण रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू हुआ जो 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो गया। इससे पहले 26 जुलाई, 1953 को लंबी अवधि वाला चंद्र ग्रहण लगा था। यह चंद्र ग्रहण भारत समेत म्यांमार, चीन, ताईवान, अमेरिका आदि कई देशों में दिखाई दिया। इस दौरान चांद का रंग पूरी तरह से लाल हो गया।
बता दें कि यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है। इससे पहले 31 जनवरी को भी माघी पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा था। तब इसकी अवधि 3 घंटे 24 मिनट थी।
बारिश के मौसम में ग्रहण का प्रभाव? वैसे तो आमतौर पर माना जाता है कि ग्रहण के की दुष्प्रभाव होते हैं। लेकिन बारिश के मौसम को देखते हुए ज्योतिषियों का मानना है कि चंद्र ग्रहण के दौरान या कुछ देर के बाद अगर हल्की भी बारिश हो जाए तो ग्रहण का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है।
17 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग
17 साल के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग देखने को मिला है कि गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा। इससे पहले 9 जनवरी, 2001 को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा था। अतीत की अगर बात करें तो गुरु पूर्णिमा पर वर्ष 1953 से अब तक चार बार चंद्र ग्रहण लग चुका है और यह पांचवां चंद्र ग्रहण रहा। गुरु पूर्णिमा पर 26 जुलाई 1953 को चंद्र ग्रहण लगा था। उसके बाद 15 जुलाई 1954, 16 जुलाई 2000 और अंतिम बार 9 जनवरी 2001 को चंद्र ग्रहण लगा था। भविष्य की अगर बात करें तो अगले साल 16 जुलाई को भी ऐसा ही दुर्लभ संयोग देखने को मिलेगा।
राशियों पर ग्रहण का असर
राशियों पर भी इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव और दुष्प्रभाव होने की बात कही गई है। वृष राशि वाले इस दौरान चिंता से ग्रस्त रहेंगे। कर्क राशि वालों को भी कष्ट होने की संभावना है। कन्या राशि वालों को भय होगा, मिथुन राशि वालों को क्षति हो सकती है, धनु राशि वाले तनाव से ग्रस्त रहेंगे, मकर राशि वालों को मानसिक कष्ट हो सकता है, जबकि कुंभ राशि वालों पर इसका मिश्रित प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके अलावा मेष राशि, सिंह राशि और मीन राशि वालों को इसके कारण लाभ हो सकता है। वहीं, वृश्चिक राशि वालों को भी सुख की प्राप्ति होगी।