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कश्मीर: जारी रहेगी आतंकियों को ‘ढूंढो और मारो’ की कार्रवाई

हाल में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद बीजेपी नेतृत्व को महसूस हो रहा है कि जम्मू और कश्मीर में फिलहाल बातचीत की ज्यादा गुंजाइश नहीं है और पार्टी आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को आगे बढ़ाने के पक्ष में है। विश्वस्त बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर के आतंकियों ने जो दुस्साहस दिखाया है, वह उनके इरादों को साफ करता है और इसका सख्ती से जवाब दिए जाने की जरूरत है।

कश्मीर: जारी रहेगी आतंकियों को 'ढूंढो और मारो' की कार्रवाईपार्टी को साफ तौर पर यह महसूस हो रहा है कि जो विपक्षी नेता बातचीत की मांग कर रहे हैं, उन्हें शायद जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात का अंदाजा नहीं। पार्टी को यह भी लगता है कि विपक्ष और अलगाववादी नेता इस फिराक में हैं कि किसी तरह इस मुद्दे पर केंद्र की कमजोरी सामने आ जाए। साथ ही उनकी कोशिश है कि प्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की कमजोर नब्ज पर हाथ रखा जाए।

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक यह वक्त किसी भी हाल में बातचीत के लिए सही नहीं होगा, खास तौर पर अलगाववादियों के साथ। पार्टी को लगता है कि ऐसे वक्त में जब प्रदेश सरकार घुसपैठियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, NIA, ED और IT जैसी केंद्रीय एजेंसियां हुर्रियत नेताओं की फंडिंग की जांच में जुटी हैं, बातचीत की पहल बैकफायर कर सकती है।

प्रदेश में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने को लेकर प्रतिबद्ध बीजेपी का जोर राजनीतिक तौर पर भी आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देने पर है। दरअसल, अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद यह सवाल उठ रहा था कि क्या पीडीपी के साथ गठबंधन देश के बाकी हिस्सों में बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि अलगाववाद को लेकर दोनों की राय अलग-अलग है।

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हालांकि पिछले दिनों अमरनाथ यात्रियों पर जो आतंकी हमला हुआ, उसे लेकर यह भी कहा जा रहा है कि यात्रियों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ा और इसी का फायदा आतंकियों ने उठाया, लेकिन अगर ऐसे और हमले होते हैं तो बीजेपी और केंद्र के लिए उस पर जवाब देना काफी मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि बीजेपी बातचीत नहीं, ऐक्शन के पक्ष में है।

गौरतलब है कि पिछले साल मुठभेड़ में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में हिंसा का जो दौर शुरू हुआ, वह अबतक जारी है। साथ ही पाकिस्तानी सेना ने भी घाटी में आतंक फैलाने की अपनी कोशिशों से बाज नहीं आ रही है। ऐसे हालात घाटी में विकास की संभावनाएं को कमजोर कर रहे हैं। 

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