आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ‘अमरावती’ को एक ऐसी राजधानी बनाना चाहते हैं जैसी पूरे भारत में नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने 3 साल पहले आंध्र प्रदेश के तेलंगाना से अलग होने के बाद 10 साल के लिए मिली संयुक्त राजधानी हैदराबाद को कुछ ही वक्त बाद छोड़ दिया।
फिलहाल आंध्रप्रदेश की कोई राजधानी नहीं है बल्कि एक राजधानी के लिए चंद्रबाबू नायडू के सपनों का शहर बसाया जा रहा है। इस निर्माणाधीन शहर में एक अस्थाई सदन और सचिवालय के माध्यम से काम चल रहा है।
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हाल ही में एक बैठक करके नायडू ने आंध्र प्रदेश की इस नई राजधानी के निर्माण की समीक्षा की। जानिए उस शहर के बारे में 10 खास बातें जिसे सिंगापुर के मॉडल पर आधारित बताया जा रहा है।
- अमरावती को एक हरित राजधानी के तौर पर बसाया जा रहा है जो कि 217 वर्ग किलोमीटर में होगा।
- इस शहर का 51 प्रतिशत हिस्सा हरित क्षेत्र होगा, जबकि 10 प्रतिशत हिस्से में जल निकाय होगे जिसमें 30 किलोमीटर लंबी कृत्रिम नदी परियोजना भी है।
- शहर के अंदर- सरकार, वित्त, न्याय, स्वास्थ्य, मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए अलग-अलग हब तैयार किए जाएंगे। गंटूर और विजयवाड़ा को राजधानी का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। बल्कि ये इन शहरों के लिए नोएडा और गुड़गांव के जैसी होगी।
- इस शहर के निर्माण में 58 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। केंद्र सरकार ने भी इसके लिए 2500 करोड़ की ग्रांट दे दी है जबकि 1 हजार करोड़ रूपये और दिए जाने हैं। 14200 करोड़ रुपये वर्ल्ड बैंक और हुडको के सहयोग के साथ जुटाए गए हैं।
- 53748 एकड़ जमीन में से 4000 एकड़ जमीन को बाकी के फंड जुटाने के लिए रखा गया है।
- शहर को बनाने के लिए 90 प्रतिशत जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया है, जिसमें 25920 किसानों ने अपनी जमीन दी है।
- मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की इच्छा है कि शहर के अंदर पेट्रोल पंप की जगह प्लग-प्वॉइन्ट की व्यवस्था हो।
- 2024 तक इस शहर को पूरा बनाए जाने की उम्मीद है, फिर यहां जनसंख्या बढ़ने लगेगी। वहीं 2029 तक तीसरा और आखिरी चरण पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
- इस शहर के निर्माण के पहले चरण में सरकारी कॉम्पलेक्स, विश्वविद्यालय, होटल बनाए जाने हैं जिन्हें 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।
- कहा जा रहा है कि नया बसाया जा रहा शहर मॉर्डन शहर होगा जो कि चंडीगढ़ और भुवनेश्वर जैसा प्लान्ड शहरों से भी कई मायनों में आगे होगा।