केंद्र सरकार ने आधार कार्ड के डाटा को लीक होने से बचाने के लिए राज्यों को डाटा के इस्तेमाल करने के विषय में चेताया है। केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि लोगों की पर्सनल जानकारी और आधार डेटा को उपयोग करने में सावधानी बरती जाए, जिससे किसी भी हालत में डेटा सार्वजनिक न होने पाए।
केंद्र की ओर से यह भी कहा गया कि यदि ऐसा कोई मामला संज्ञान में आता है तो उसे तीन साल की सजा दी जा सकती है। लगातार आधार डाटा के लीक होने की आ रही खबरों को मद्देनजर रखते हुए केंद्र ने यह रुख अख्तियार किया है। केंद्र ने राज्यों का आगाह किया है कि किसी की व्यक्तिगत जानकारी को पोर्टल में न डाला जाए।
आपको बता दें कि केंद्र ने यह दिशा-निर्देश झारखंड में गंभीर आंकड़ों के उल्लंघन का मामला सामने आने के बाद अपनाया है, जहां राज्य सरकार की वेबसाइट पर लाखों पेंशन लाभार्थियों की आधार संख्या दर्शाई गई थी।
आईटी सचिव अरुण सुंदरराजन के पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकारों को आधार डाटा का इस्तेमाल करते समय आईटी एक्ट 2000 और आधार एक्ट 2016 को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कुछ मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि काल्याणकारी योजनाओं का लाभ देते समय आधार कार्ड और निवास की व्यक्तिगत जानकारी के सार्वजनिक होने का मामला सामने आया था। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा मामला सामने आने पर दोषी के लिए तीन साल की सजा और पीड़ित व्यक्ति के लिए मुआवजे का भी प्रावधान है।