जनवरी से दिसंबर 2015 तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 6.73 फीसदी रहा था। इसलिए सरकार ने महंगाई भत्ते में छह फीसदी वृद्धि कर इसे 125 फीसदी करने का निर्णय लिया।
हालांकि केन्द्रीय कर्मचारियों के परिसंघ के अध्यक्ष केकेएन कुट्टी इसे वृद्धि से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार लगातार बढ़ती महंगाई में जीवन यापन कठिन हो गया है। इन परिस्थितियों में वास्तविक मुद्रास्फीती दर 220-240 फीसदी के करीब होनी चाहिए लेकिन सरकार इसे बस 125 पर सीमित कर रही है।
बता दें कि केन्द्र सरकार औद्योगिक कर्मचारियों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति से एक साल के औसत के आधार पर डीए में साल में दो बार वृद्धि करती है। पूर्व में बीते सितंबर में डीए में छह फीसदी की वृद्धि की गई थी। जिसे बढ़ाकर 113 फीसदी से 116 फीसदी किया गया था। जो जुलाई 2015 से प्रभावी हुआ था।
उम्मीद की जा रही है केन्द्र सरकार के बाद अब राज्य सरकारें भी जल्द डीएम में वृद्धि कर अपने कर्मचारियों को इसका लाभ दे सकती हैं।