नई दिल्ली। आराधना का यह पर्व प्रथम तिथि को घट स्थापना (कलश या छोटा मटका) से आरंभ होता है। साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गए हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों (शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूषमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है। इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। तो हम आपको बताते है की कैसे करे घट की स्थापना
1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा माना गया है। इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है।
2. माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें। पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
3. घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होता है। पूजा स्थल के आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए।
4. कई लोग नवरात्रि में ध्वजा भी बदलते हैं। ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें।
5. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके।
घट स्थापना विधि व ध्यान रखने योग्य जरुरी बातें
1. घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
2. नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें।
3. इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं।
4. इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
5. इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें।
6. दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें।
7. तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें।
8. अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें।
9. इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें।
10. अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें।