कोरोना: लॉकडाउन के चलते इस बार रमजान में होगी खजूर की किल्लत
नई दिल्ली: इस साल देश और दुनिया भर में कोरोना का संकट छाया हुआ है, जिसके बीच रमजान का महीना पड़ रहा है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय को इस बार रोजा खोलने के लिए खजूर की किल्लतों का सामना करना पड़ सकता है.
लॉकडाउन के चलते देश में सब कुछ बंद और लोग अपने-अपने घरों में हैं. गाड़ियों का आवागमन भी नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते देश के अलग-अलग शहरों में खजूर नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर ईरान, इराक, सउदी अरब व अन्य खाड़ी देशों से आयात पूरी बंद है, जिसकी वजह से पिछले दो-ढाई महीने से खजूर भारत नहीं आ पा रहा है. ऐसे में इस बार रमजान में ताजे खजूर के बजाय कोल्ड स्टोरेज में रखे खजूर से ही लोगों को इफ्तार करना होगा.
दिल्ली के आजादपुर मंडी खजूर के थोक विक्रेता कारन मोगिया ने बताया कि खजूर के कारोबार का यही दो महीने का सीजन होता है. एक महीने में हम 200 टन से 300 टन के करीब खजूर बेचे लेते थे, लेकिन पिछले एक महीने में 20 टन माल भी अभी तक बिक नहीं पाया है. लॉकडाउन की वजह से कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है न तो बाहर से खजूर आ रहा है और न ही बाहर के खरीदार दिल्ली आ रहे हैं. यही महीना खजूर के कारोबार का होता है, जिसकी कमाई पूरे साल चलती है. इस बार सब बर्बाद हो गया है.
कारन मोगिया बताते हैं कि रमजान के महीने हर रोज 150 से 200 टन माल केवल आजादपुर मंडी से देश के दूसरे शहर में जाता था, जो लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से बंद है. रोजेदार सऊदी अरब, इराक और ईरान से आने वाले खजूर को काफी पसंद करते हैं. रमजान में सबसे ज्यादा डिमांड कीमिया और ईरानी खजूर की होती है, जो पिछले दो महीने से भारत में आना बंद हो गया है. कोल्ड स्टोरेज में रखे हुए खजूर का सहारा है, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद ही कुछ बिक पाएगा.
दिल्ली के खारी बावली के खजूर विक्रेता मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि रमजान शुरू होने के एक महीने पहले से ही खजूर की बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना और लॉकडाउन के चलते नहीं हो सकी है. मुंबई, गुजरात और दिल्ली खजूर की सबसे बड़ी मंडियों में शामिल हैं. रमजान के महीने में भारत में हर रोज 10 हजार टन की खपत होती है. इस तरह से एक महीने में करीब तीन लाख टन खजूर की ब्रिकी होती है. मौजूदा समय में भारत में इतनी बड़ी तादात में खजूर कोल्ड स्टोरेज में नहीं है. ऐसे में खजूर के लिए समझौता करना होगा.
यूनुस कहते हैं कि कोरोना की वजह से हम लोग भी बाहर से खजूर मंगा नहीं सके हैं. जबकि, हम विदेश की खुबानी, शुमरी, कश, तईबा, शबानी, मगरूम, सगई, अजवा और हयात जैसी खजूर की किस्में बेचते हैं, लेकिन विदेश से आयात न होने के चलते इस बार इन किस्मों की खजूर रमजान में लोगों को नहीं मिल पाएंगी. हयात खजूर जहां 250 रुपये किलो है तो अजवा की कीमत 16 सौ से 5500 रुपये प्रति किलो है. यह खजूर मदीना शहर से मंगवाया जाता है, जिसके मुस्लिम समुदाय में हाई क्लास के लोग खाना ज्यादा पसंद करते हैं.
आजादपुर मंडी के थोक खजूर विक्रेता मोहम्मद नसीम कहते हैं कि कोरोना ने सारे कारोबार को बर्बाद कर दिया है. मजदूर भी सब चले गए हैं और मंडी भी हर रोज नहीं खुल रही है. रमजान का सीजन ही खजूर के कारोबार का होता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई खरीदार बाहर से नहीं आ रहे हैं. इसके चलते जो खजूर हैं हम उन्हें घाटे पर बेच रहे हैं. लॉकडाउन खुलेगा कि नहीं ये भी उम्मीद नहीं है, ऐसे में हम ज्यादा दिन खजूर को रोक नहीं सकते हैं. नसीम बता रहे हैं कि अभी तक उन्हें करीब 5 से 7 लाख का नुकसान हो चुका है.
नसीम अहमद बताते हैं कि दिल्ली के बाहर के जो कारोबारी होते हैं वो रमजान शुरू होने से 15 से 20 दिन पहले ही खजूर लेकर जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना के चलते आ ही नहीं सके हैं. इस तरह से दिल्ली के बाहर लोगों को खजूर की काफी दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत तो रेहड़ियों पर खजूर बेचने वालों को होगी, जो रमजान के महीने में इसी कारोबार की उम्मीद में रहते थे.