स्वास्थ्य

कोल्ड ड्रिंक और डायट सोडा ज्यादा पीने से बढ़ सकता है इन दो बीमारियों का खतरा

कोल्ड ड्रिंक और डायट सोडा ज्यादा पीने से बढ़ सकता है इन दो बीमारियों का खतराकई लोग कोल्ड ड्रिंक के दुष्प्रभावों से बचने के लिए उसकी जगह डायट सोडा लेते हैं। लेकिन एक नए अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने चेताया है कि डायट सोडा भी याददाश्त के लिए घातक हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा, कई लोग सोचते हैं कि कोल्ड ड्रिंक में काफी चीनी होती है इसलिए वे हानिकारक होती हैं। ऐसे लोग कोल्ड ड्रिंक की बजाय डायट सोडा लेते हैं। यह सच है कि रोज-रोज शुगरयुक्त पेय लेने से याददाश्त खराब हो सकती है। लेकिन रोज रोज डायट सोडा पीना भी सुरक्षित नहीं है। इससे डिमेंशिया और आघात का खतरा काफी बढ़ सकता है।

लत से बचना जरूरी :
‘जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जो लोग शुगर युक्त कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं उनकी याददाश्त खराब हो जाने की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे लोगों के मस्तिष्क का आयतन अपेक्षाकृत छोटा हो सकता है। उनका हिप्पोकैंपस भी अपेक्षाकृत छोटा हो सकता है। हिप्पोकैंपस मस्तिष्क का याददाश्त और सीखने की क्षमता से जुड़ा हिस्सा है।

डायट सोडा विकल्प नहीं :
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के बाद एक और अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि शुगर युक्त कोल्ड ड्रिंक के दुष्प्रभाव से बचने के लिए डायट सोडा अपनाना भी खतरनाक हो सकता है। अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता मैथ्यू पेस ने कहा, हमारे नतीजों ने दिखाया कि अत्यधिक शुगर वाले या कृत्रिम मिठास वाले, दोनों तरह के पेयों और मस्तिष्क के क्षय में गहरा संबंध है। इनके ज्यादा उपभोग से उपापचय संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनसे डिमेंशिया और मस्तिष्क और रक्तवाहिनियों से जुड़ी अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

ज्यादा सेवन, ज्यादा खतरा :
पेस ने कहा, हमने पाया कि जो लोग प्रति दिन तीन बार डायट सोडा लेते हैं उनके डिमेंशिया और आघात की चपेट में आने का खतरा ज्यादा था। शोधकर्ताओं के अनुसार इसमें अल्जाइमर्स बीमारी और इस्कीमिक आघात का खतरा भी शामिल है। इस्कीमिक आघात में मस्तिष्क की रक्त वाहिनियां बाधित हो जाती हैं। जबकि अल्जाइमर्स डिमेंशिया का सबसे आम रूप है, जिसमें याददाश्त का क्षरण हो जाता है।

शोधकर्ताओं ने चार हजार से भी ज्यादा लोगों का अध्ययन कर यह नतीजा निकाला है। ये सभी लोग 30 साल से अधिक उम्र के थे। शोधकर्ताओं ने एमआरआई तकनीक से इन प्रतिभागियों के मस्तिष्क की स्कैनिंग की तथा इनकी दिमागी क्षमता का परीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने इन प्रतिभागियों पर करीब दस साल तक नजर रखी। पता चला कि जो प्रतिभागी रोज रोज और ज्यादा मात्रा में डायट सोडा लेते थे उनमें डिमेंशिया और आघात का खतरा ऐसा नहीं करने वालों के मुकाबले ज्यादा था। उनके मधुमेह की चपेट में आने की संभावना भी ज्यादा पाई गई।

 
 
 

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