क्या जल भराव से टूटेगी प्रधानमंत्री मोदी की उम्मीद!
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
पूरे विश्व के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 182 मीटर ऊंचा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का स्मारक बनने जा रहा है। आदरणीय नरेन्द्र मोदी ने विश्व के सबसे ऊंचे स्टेच्यू की अपनी इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के अवसर पर किया। गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध से पश्चिम दिशा में 3.2 किलोमीटर की दूरी पर साधुबेट नामक स्थान पर जो कि नर्मदा नदी का एक टापू है उस पर यह पूर्वमुखी स्टेच्यू बनेगा। पर्यटक इसे अमेरिका स्थित स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी की तरह कुछ किलोमीटर दूर से स्टीमर द्वारा देखने आएगें। इस परियोजना की कुल लागत 3000 करोड़ रुपये से अधिक होगी।लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की स्मृति में बनने वाला विश्व का सबसे ऊंचा स्टेच्यू लौहे से ही बनाया जाएगा। इस प्रतिमा को बनाने के लिए लौहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती में काम आने वाले बेकार व पुराने हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाना तय किया गया था। लौहा एकत्र करने की अंतिम तारीख 26 जनवरी 2014 रखी गई थी।इस परियोजना को जितने भव्य स्तर पर बनाया जा रहा है उसके लिए जिस स्थान का चयन किया गया है उसकी भौगोलिक स्थिति के वास्तुदोषों को देखते हुए यह तय है कि न तो यह योजना अपने प्रस्तावित 56 माह के समय में पूर्ण होगी और न ही यह परियोजना पूर्ण होने के बाद इतनी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकेगी। इसके लिए इस स्थान की भौगोलिक स्थिति का वास्तु विश्लेषण करना होगा, जो कि इस प्रकार है-नर्मदा नदी सरदार सरोवर डेम से निकलकर साधुबेट पर दो धारा में बंट जाती है, जिसमें से एक धारा साधु बेट की दक्षिण दिशा में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बह रही है। यहां पर इसका पाट बहुत चौड़ा और गहरा है, इस कारण यहां वर्ष भर पानी रहता है। साधुबेट के पूर्व आग्नेय और नैऋत्य कोण में भी नदी में बहुत गहराई होने के कारण भारी मात्रा में वर्ष भर जल भराव रहता है। साधुबेट की उत्तर दिशा में बह रही दूसरी धारा बहुत उथली है। यहां गहराई नहीं के बराबर है। जब डेम से बहुत ज्यादा मात्रा में पानी छोड़ा जाता है तब ही यहां पानी आता है। अन्यथा यह धारा सूखी ही रहती है। इस प्रकार साधुबेट की पश्चिम दिशा, वायव्य कोण, उत्तर दिशा, ईशान कोण और पूर्व दिशा अन्य दिशाओं आग्नेय कोण, दक्षिण दिशा और नैऋत्य कोण की तुलना में ऊंची है।