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क्या है पीआरसी, जिसके विरोध में अरुणाचल प्रदेश में हो रही है हिंसा

ईटानगर : अरुणाचल प्रदेश में गैर अरुणाचली लोगों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र दिए जाने के विरोध में चल रहा प्रदर्शन विकराल रूप लेता जा रहा है। इस विवाद को पीआरसी यानि परमानेंट रेजीडेंट सर्टिफिकेट विवाद कहा जा रहा है। ये विवाद अरुणाचल में लगातार हिंसक रूप ले रहा है। इसके चलते अरुणाचल के उप मुख्यमंत्री चौना मैन के घर पर जमकर पथराव हुआ। फिर इसे आग के हवाले कर दिया गया। अरुणाचल प्रदेश में सरकार नामसाई और चांगलांग जिलों में 6 आदिवासी समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने के विषय पर विचार कर रही थी। ये सभी छह समुदाय गैर अरुणाचली हैं और गैर आदिवासी समुदाय भी। सरकार उन्हें इस कदम का राज्य में व्यापक विरोध हुआ। जगह-जगह बंद और तोड़फोड़ भी हुई। पीआरसी एक ऐसा वैध दस्तावेज होता है, जो भारत के नागरिक हों और जिनके पास देश में निवास के प्रमाण हों। इस सर्टीफिकेट को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र माना जाता है। राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार है, जो छह गैर अरुणाचल आदिवासी समुदायों को पीआरसी देने पर विचार कर रही थी। ये समुदाय प्रदेश के नामसई और चांगलांग में रहती हैं। साथ ही विजयनगर में रहने वाले गोरखाओं को भी इसमें शामिल किए जाने की बात थी। इसमें राज्य में रहने वाले देवरिस, सोनोवाल कछारी, मोरांस, आदिवासी और मिशिंग समुदाय शामिल थे। इन सभी को पडोसी राज्य असम में अनसूचित जनजाति का दर्जा दिया हुआ है। इसके अलावा गोरखा को भी ये दर्जा देने पर विचार किया जा रहा था। इसमें एक उच्च अधिकार संपन्न कमेटी ने इन समुदायों से बात करने के बाद उन्हें ये पीआरसी का दर्जा देने की संस्तुति की थी, ये सभी लोग अरुणाचल प्रदेश के स्थायी निवासी नहीं हैं लेकिन नामसई और चांगलांग जिलों में दशकों से रह रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश के कई समुदायों और संस्थाओं में इसे लेकर भारी विरोध है, उन्हें लगता है कि ऐसा करने से राज्य के आदिवासियों के हितों और अधिकारों को ना केवल ठेस पहुंचेगी, इसीलिए इसे लागू किए जाने का विरोध हो रहा है। इस प्रस्ताव को राज्य की विधानसभा में इस शनिवार को पेश किया जाने वाला था, लेकिन कई संगठनों के आंदोलन के बाद इसे पेश नहीं किया जा सका, स्पीकर ने विधानसभा का सत्र भंग कर दिया। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार भी ऐसा ही चाहती थी लेकिन अब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ नहीं ने राज्य के लोगों से शांति और सदभाव बनाए रखने की अपील की है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजु का कहना है कि राज्य सरकार पीआरसी जैसा कोई बिल नहीं लाने जा रही है बस केवल मकसद ज्वाइंट हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को पेश करने का था, उनका कहना है कि कांग्रेस भी पीआरसी लाना चाहती थी।

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