दस्तक टाइम्स/एजेंसी : कई महिलाओं को हर वक्त यह चिंता सताती रहती है कि उनकी मां या नानी को ब्रेस्ट कैंसर था, इसलिए कहीं उन्हें भी यह बीमारी न हो जाए। कुछ हद तक इस बारे में सोचना सही भी है, लेकिन लाइफस्टाइल को सही तरीके से मैनेज करके इस बीमारी को होने से काफी हद तक रोका जा सकता है। इसका सबसे पहला तरीका है सही खाना। डाइट को बैलेंस करने के लिए सबसे पहले प्लांट्स और डेयरी प्रोडेक्ट्स का इस्तेमाल बढ़ाएं मतलब ज्यादा से ज्यादा कच्ची सब्जियां और दूध से बने प्रोडक्ट्स खाएं।
फल-सब्जियों में मौजूद फाइबर से शरीर में ऑइस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा को कम किया जा सकता है। जो महिलाएं लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करती हैं, उनमें भी कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है। इसका कारण दूध, पनीर आदि में मौजूद कैल्शियम की अधिक मात्रा है। इसके अलावा हाई-फाइबर प्लांट बेस्ड डाइट से मोटापे की शिकायत भी नहीं होती है। कैंसर- फाइटिंग प्रॉपर्टीज़ बॉडी में हेल्दी सेल्स को बनाती है।
पहला: ब्रोकली, गोभी और पत्तागोभी में अधिक मात्रा में फाइटोकैमिकल्स पाए जाते हैं। इसमें कुछ ऐसे प्रोटेक्टिव एंजाइम भी होते हैं, जिनके सेवन से शरीर में कैंसर सेल्स का प्रोडक्शन धीमा पड़ जाता है। ज्यादा फायदा उठाने के लिए इन सब्जियों को कच्चा या फिर हल्का फ्राय करके खाएं।
दूसरा: लहसुन को खाने में डालने से 15 मिनट पहले छील कर रख दें। ऐसा करने से लहसुन में मौजूद फायदेमंद एंजाइम्स का प्रोडक्शन तेज़ी से होने लगता है। यह वही एंजाइम हैं जो ज्यादातर सुपरफूड में बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।
तीसरा: खाने में हर तरह की बेरीज़ शामिल करिए क्योंकि इनमें फ्लेवनॉयड्स भारी मात्रा में पाए जाते हैं जो एंटी-कैंसर प्रॉपर्टीज़ के लिए जाने जाते हैं। स्ट्रॉबेरी, मलबेरी और जामुन खाएं। अनार या टमाटर भी बेरीज़ फैमिली से हैं। इनका इस्तेमाल भी बढ़ाया जा सकता है।
चौथा: ब्लैक टी, ग्रीन टी और ओलॉन्ग में फ्लेवनॉयड्स भारी मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन यह सॉल्यूशन 40-45 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए कारगर है।
पांचवा: ब्रिटिश मेडिकल जरनल द्वारा किए शोध के अनुसार स्पाइसेस के सेवन से कैंसर से होनी वाली मृत्युदर आधी रह जाती है। हर मसाले में अपनी खास प्रॉपर्टीज़ होती हैं। इसमें भी हल्दी सबसे ज्यादा फायदेमंद है।