पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि के दिन हजारों साल पहले स्वर्ग की नदी गंगा धरती पर आई थीं और पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर ही रह गईं, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के आधार पर पाप 10 तरह के होते हैं। यानी कोई भी मनुष्य और चराचर जीव इन 10 तरह के पापों के अतिरिक्त किसी पाप क्रम में लीन नहीं हो सकता। या कहिए कि हर तरह का पाप इन 10 श्रेणियों में आ जाता है। इन 10 तरह के पापों को 3 वर्गों में बांटा गया है। ये वर्ग हैं कायिक, वाचिक और मानसिक। अर्थात मनुष्य 3 तरह से पाप करते हैं, अपने शरीर से अपनी वाणी से और अपने मन या दिमाग से। इन तीन वर्गों में पापों का विभाजन इस प्रकार है कि 3 तरह के कायिक पाप होते हैं। फिर 4 तरह के वाचिक पाप होते हैं और 3 तरह के ही मानसिक पाप होते हैं। इस तरह 3+4+3=10 अर्थात दहाईं का आंकड़ा बनता है। इन 10 तरह के पापों से मुक्ति दिलाने के कारण ही इसे दशहरा (दस तरह के पापों को हरनेवाला) कहते हैं। क्योंकि इन पापों का नाश गंगा में स्नान करने से होता है इसलिए इस पर्व का नाम गंगा दशहरा पड़ा। सनातन या हिंदू धर्म के अनुयायी इस दिन गंगा में स्नान कर पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। वैसे तो यह तिथि हर साल आती हैं लेकिन इस बार का दशहरा कुछ खास है। धार्मिक महत्व के अनुसार, कोई भी त्योहार सुबह से प्रारंभ होने वाली तिथि में मनाया जाता है। गंगा स्नान की तिथि बुधवार को शाम 7 बजकर 12 मिनट से शुरू हुई। लेकिन गंगा दशहरा 24 तारीक यानी आज मनाया जा रहा है। आज शाम 6 बजकर 18 मिनट तक यह शुभ तिथि रहेगी।