गणेश उत्सव और स्वाधीनता का आपस में गहरा रिश्ता -नाईक
राज्यपाल ने गणपति बप्पा का आर्शीवाद लिया
लखनऊः प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज महाराष्ट्र समाज लखनऊ द्वारा मकबूलगंज में आयोजित गणपति उत्सव तथा श्रीगणेश प्राकट्य कमेटी द्वारा झूलेलाल पार्क में आयोजित गणेश उत्सव में गणपति के दर्शन किए और आर्शीवाद लिया। राज्यपाल ने महाराष्ट्र समाज द्वारा आयोजित गणपति उत्सव में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गणेश उत्सव के सार्वजनिक आयोजन और देश की स्वाधीनता का आपस में गहरा रिश्ता है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने समाज को अंग्रजों के विरूद्ध संगठित करने की दृष्टि से गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती का सार्वजनिक आयोजन आरम्भ किया था। इसी उद्देश्य से उन्होंने मराठी में ‘केसरी’ तथा अंग्रेजी में ‘मराठा’ नामक समाचार पत्रों का संपादन शुरू किया। बाल गंगाधर तिलक ने 100 वर्ष पूर्व लखनऊ में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में अपने विचार रखे थे जिसकी ध्वनि लखनऊ से पूरे देश में पहुंची थी। उनके संघर्ष से देश को ताकत मिलती थी। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक का उददेश्य देश को स्वाधीन कराने की दृष्टि से दिशा देना था।
श्री नाईक ने झूलेलाल पार्क में आयोजित गणेश उत्सव में कहा कि हमारे जीवन में गणपति का अलग-अलग ढंग से महत्व है। मंगलकार्य उनकी प्रार्थना से आरम्भ होते हैं। वे सुख और समाधान देने वाले देवता है जो दुःख को दूर करते हैं। गणेश उत्सव के अवसर पर देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का संकल्प करें। उन्होंने कहा कि निरन्तर आगे बढ़ने से सफलता मिलती है। राज्यपाल ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का मर्म समझाते हुए कहा कि जो बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है, जो चलता रहता है उसका भाग्य भी चलता है। सूरज इसलिए जगत वंदनीय है क्योंकि वह निरन्तर चलायमान है। इस अवसर पर विधायक श्री नीरज बोरा एवं श्री धीरेन्द्र बहादुर सिंह सहित आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री अनुराग, श्री दीपक अभ्यंकर, श्री राजेश कमल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे। राज्यपाल ने गणेश उत्सव में सहयोग करने वाले संस्था के पदाधिकारियों को सम्मानित भी किया।