गायब होते 2000 के नोट की छपाई पर लग गया ‘ब्रेक’
पिछले कुछ महीनों से 2000 रुपये के नोट बाजार में कम दिख रहे थे. अब सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आई है. सरकारी सूत्रों की मानें तो 2000 रुपये के नए नोट अब बहुत कम छप रहे हैं. इसके पीछे सरकार और आरबीआई की क्या नीति है इसका खुलासा नहीं हो पाया है. लेकिन जिस तरह से अचानक चलन में 2000 रुपये के नोट कम होते जा रहे थे उससे लोगों में मन सवाल तो उठ ही रहे थे.
नवंबर 2016 में जारी में हुए 2000 के नोट
दरअसल दो साल पहले नोटबंदी के बाद जारी किए गए 2000 रुपये के करेंसी नोट की छपाई न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद सरकार ने 2,000 रुपये का नया नोट जारी किया था. बता दें, सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से हटा दिया था, उसके बाद रिजर्व बैंक ने 500 के नए नोट के साथ 2,000 रुपये का भी नोट जारी किया.
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिजर्व बैंक और सरकार समय समय पर करेंसी की छपाई की मात्रा पर फैसला करते हैं. इसका फैसला चलन में मुद्रा की मौजूदगी के हिसाब से किया जाता है.
छपाई पर ‘ब्रेक’ के पीछे तर्क
जिस समय 2,000 का नोट जारी किया गया था तभी यह फैसला किया गया था कि धीरे-धीरे इसकी छपाई को कम किया जाएगा. 2000 के नोट को जारी करने का एकमात्र मकसद प्रणाली में त्वरित नकदी उपलब्ध कराना था. अधिकारी ने बताया कि 2000 के नोटों की छपाई काफी कम कर दी गई है. 2000 के नोटों की छपाई को न्यूनतम स्तर पर लाने का फैसला किया गया है.
बाजार से गायब होते 2000 नोट की ये वजह
रिजर्व बैंक के आंकड़ों में मार्च, 2017 के अंत तक 328.5 करोड़ इकाई 2000 के नोट चलन में थे. 31 मार्च, 2018 के अंत तक इन नोटों की संख्या मामूली बढ़कर 336.3 करोड़ इकाई पर पहुंच गई.
मार्च 2018 के अंत तक कुल 18,037 अरब रुपये की करेंसी चलन में थी, इनमें 2000 के नोटों का हिस्सा घटकर 37.3 प्रतिशत रह गया. मार्च, 2017 के अंत तक कुल करेंसी में 2000 के नोटों का हिस्सा 50.2 प्रतिशत पर था. इससे पहले नवंबर 2016 में 500, 1000 रुपये के जिन नोटों को बंद किया गया उनका कुल मुद्रा चलन में 86 प्रतिशत तक हिस्सा था.