गुजरात के इस गांव में नहीं पड़ा नोटबंदी का असर क्योंकि…
साबरकांठा। गुजरात के साबरकांठा जिले में एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम है आकोदरा। इस गांव की खासियत यह है कि यह देश का सबसे पहला डिजिटल गांव है। जहां देशभर के शहरों, कस्बों और गांवों में नोटबंदी के बाद बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। वहीं इस गांव में जैसे नोटबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ा है। इस गांव में लोग 10 रुपए का सामान भी खरीदने जाते हैं तो फोन पर एक साधारण टेक्स्ट मैसेज से भुगतान कर देते हैं।
एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, इस मैसेज में भुगतान पाने वाले का अकाउंट नंबर और जितना पैसा ट्रांस्फर किया जाना है उसके बारे में जानकारी रहती है। यह मैसेज किसी और को नहीं बल्कि खरीदार सीधे अपने बैंक को भेजता है और फिर आगे का काम बैंक कर देता है।
बता दें कि साबरकांठा जिले का यह गांव अहमदाबाद से सिर्फ 90 किमी की दूरी पर है। अकोदरा में 24 घंटे वाईफाई की सुविधा उपलब्ध है और इसे देश का पहला डिजिटिल विलेज कहा जा रहा है। इस गांव को डिजिटल बनाने में एक प्राइवेट बैंक की बड़ी भूमिका है। बैंक ने करीब एक साल पहले इस गांव में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था।
स्थानीय निवासी पीयूष पटेल कहते हैं, ‘अगर मुझे कुछ भी खरीदना होता है, भले ही वह 10 रुपये का सामान क्यों न हो। मुझे अपने बैंक को अपने किराना दुकानदार के अकाउंट नंबर के साथ जानकारी भेजनी होती है। इसके बाद पैसा मेरे अकाउंट से कटकर किराना दुकानदार के अकाउंट में जमा हो जाता है।’
पीयूष पटेल खुद एक डेरी चलाते हैं और उनका कहना है कि उनके ग्राहक भी उन्हें इसी तरह से भुगतान करते हैं। किराना व्यापारी का कहना है कि नोटबंदी से उन्हें किसी तरह की कोई चिंता नहीं है। पंकिल पटेल मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘आजकल कैश की किल्लत हो रही है, लेकिन इस गांव में नहीं. एक एसएमएस के जरिए हमारे अकाउंट में पैसा आ जाता है और हम सामान बेच व खरीद पाते हैं।’
इस गांव में सिर्फ एक एटीएम है, लेकिन यहां कोई लंबी-चौड़ी लाइन नहीं दिखायी दे रही है। करीब एक साल पहले प्राइवेट बैंक ने इस गांव को गोद लिया और राज्य सरकार के साथ मिलकर इसे डिजिटल गांव बनाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था।
आज के दिन 1500 की आबादी वाले इस गांव में 1200 लोगों के पास बैंक अकाउंट हैं। एक बैंक अधिकारी ने बताया, ‘हर खाताधारक को मनी ट्रांस्फर की सुविधा दी गई है। गांव पूरी तरह से वाईफाई से लैस है। लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए कि काफी लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, हमने उन्हें एसएमएस के जरिए पैसा ट्रांस्फर करने की सुविधा दी है।’
इस डिजिटाइजेशन से पहले रिटायर अध्यापक मोहनभाई को अपनी पेंशन के लिए नजदीकी जिला हेडक्वार्टर में जाना पड़ता था. दो बार तो उनकी जेब भी कट कई थी, लेकिन अब उन्हें जेब कटने की कोई चिंता नहीं है। उनका कहना है कि अब उनकी पेंशन अकाउंट में आ जाती है और ऑनलाइन ट्रांस्फर के जरिये काम चलता है।