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गुनाह किया था मां ने, बेकसूर छोटे छह मासूम भी भेजेे गए जेल
लुधियाना.शहर के टिब्बा रोड स्थित नलवा कॉलोनी में बुधवार रात हुए मजदूर मन बहादुर के कत्ल के सनसनीखेज और मार्मिक पहलू सामने आए। मजदूर के कत्ल में उसकी पत्नी अनीता भी अपने आशिक जीवन की मददगार थी। अनिता बेशक गुनहगार है, लेकिन उसकी खता की सजा बेवजह उसके छह मासूम बच्चे भी भुगतेंगे। शुक्रवार को यह खुलासा कर थाना बस्ती जोधेवाल की पुलिस ने कत्ल के आरोपी जीवन, मन बहादुर की पत्नी अनिता को गिरफ्तार कर अदालत मेें पेश किया। जहां से उनको जेल भेज दिया गया। यह देख लोगों का दिल पसीज उठा कि आरोपी मां अनिता के साथ उसके छह बेकसूर बच्चे भी अदालत में पेश हुए, फिर वे मां के साथ ही महिला जेल भी गए। गौर हो कि आरोपी अनिता की सबसे छोटी बेटी 6 महीने की है। मां के साथ जेल में रखे जा सकते हैं…
कानून के मुताबिक छह साल से कम उम्र के बच्चे परवरिश के नजरिए से मां के साथ जेल में रखे जा सकते हैं। ऐसे में होश संभलने तक इन बच्चों को करीब 2 से 5 साल तक मां के साथ बिना कोई गुनाह किए ही जेल में रहना पड़ेगा। जेल सुपरिंटेंडेंट दमनजीत कौर ने बताया कि शनिवार को आरोपी महिला के बच्चों का मेडिकल करा उम्र का सार्टिफिकेट लिया जाएगा। जो बच्चा 6 साल से बड़ा होगा, उसको जेल में नहीं रख सकेंगे।
अपने पिता मन बहादुर का कत्ल होने के बाद मासूम बच्चों को कुछ नहीं पता था कि उनके घर क्या हो गया। वे खेलते और टीवी देखते रहे। इंस्पेक्टर हरपाल सिंह ग्रेवाल के मुताबिक पता चला कि कातिल साथ में चाकू लाया था। जिससे प्लानिंग से मर्डर का शक पुख्ता हुआ। मृतक की पत्नी अनीता लगातार बयान बदल झूठ बोल रही थी कि उसे कुछ नहीं पता। फिर अनिता से कड़ाई पूछताछ की तो वह टूट गई। फिर उसने खुलासा किया कि आरोपी जीवन और उसके लंबे समय से अवैध संबंध थे। कुछ समय पहले पति को उसके अवैध संबंधों का पता चला तो झगड़ा होने लगा। तंग आकर उसने आशिक जीवन के साथ पति के मर्डर का प्लान बनाया।
किसी आरोपी महिला के साथ उसके 6 साल से कम उम्र के बच्चे को इंसानियत के नजरिए से कानूनन जेल में रखा जा सकता है, ताकि मां उसकी परवरिश कर सके। हालांकि उम्र की मियाद पूरी होते ही बच्चे को किसी बाल सुधार गृह में भेजना जरूरी होता है। दूसरी सूरत में कोर्ट के आदेश पर आरोपी का कोई रिश्तेदार बच्चे की परवरिश का जिम्मा ले सकता है।-एसकेशर्मा, पूर्व जिला एडीशनल सेशन जज