अद्धयात्म

गुरु पर्व: गुरु नानक देव जी ने ऐसे पढ़ाया ईमानदारी का पाठ

gur12vकार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख समुदाय के प्रथम धर्मगुरु गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ लेकिन उनका जन्मोत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। 

एक बार गुरु नानक देव जी भ्रमण के दौरान सैदपुर पहुंचे। यहां का मुखिया बेईमान था। गरीब किसानों से वह बहुत अधिक लगान वसूलता था। उनकी फसल हड़प लेता था। उसे गुरु जी के आने का पता चला, तो वो उन्हें अपने घर में ठहराना चाहता था, लेकिन गुरु जी ने एक गरीब के घर को ठहरने के लिए चुना। उस गरीब का नाम भाई लालो था। भाई लालो बड़े आदर-सत्कार से गुरुजी की सेवा करने लगा।

जब मुखिया को इसका पता लगा उसने बड़ा आयोजन किया। गुरुजी को भी आमंत्रित किया, लेकिन गुरुजी ने उसका निमंत्रण ठुकरा दिया। यह सुनकर उसे बहुत गुस्सा आया और उसने गुरुजी को अपने यहां लाने का हुक्म दिया। उसके आदमी, गुरुजी को उसके घर में लेकर पहुंचे तो वह बोला, गुरुजी मैंने आपके ठहरने का बहुत अच्छा प्रबंध किया था। फिर भी आप उस गरीब की सूखी रोटी क्यों खा रहे हो।

गुरुजी ने कहा, मैं तुम्हारा भोजन नहीं खा सकता, क्योंकि तुमने गरीबों का खून चूसकर ये रोटी कमाई है। लालो की सूखी रोटी ईमानदारी और मेहनत की कमाई है। गुरुजी की इस बात पर उसने सबूत देने को कहा। गुरुजी ने लालो के घर से रोटी का टुकड़ा मंगवाया। गुरुजी ने एक हाथ में भाई लालो की सूखी रोटी और दूसरे हाथ में मुखिया की चुपड़ी रोटी उठाई। दोनों रोटियों को हाथों में दबाया तो लालो की रोटी से दूध और मुखिया की रोटी से खून टपकने लगा। यह देखकर वह गुरुजी के चरणों में गिर गया। गुरुजी ने उसे भ्रष्टाचार से कमाई सारी दौलत गरीबों में बांटने को कहा। उसने ऐसा ही किया। इस प्रकार, गुरुजी के आशीर्वाद से वह ईमानदार बन गया।

 
 
 

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