उत्तर प्रदेश

गोरखपुर सांप्रदायिक दंगा मामले में सुनवाई 23 को

इलाहाबाद : गोरखपुर में वर्ष 2007 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाये जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लेकिन राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता के हाजिर न होने पर राज्य सरकार की ओर से आपत्ति दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया। मामले की सुनवाई जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस. एन. शर्मा की डिवीजन बेंच कर रही है। दरअसल कोर्ट में दाखिल अर्जी में सीएम योगी, अंजू चौधरी और राधा मोहन को पक्षकार बनाये जाने की मांग की गई है। जिस पर राज्य सरकार ने आपत्ति की है। याचिकाकर्ता परवेज परवाज और असद हयात ने याचिका दाखिल कर सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने की याचिका में मांग की है।

कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से कहा है कि 23 अक्टूबर को केस की सुनवाई किसी हाल में स्थगित नहीं होगी। आपको याद दिला दें वर्ष 2007 में गोरखपुर जिला स्तिथ इस्माइलपुर में झन्कार टॉकीज़ के सामने एक हिंदू परिवार के प्रीतिभोज में नाच गाना चल रहा था। इसी दौरान आपस में झगड़ा हो गया। झगड़े के बाद एक गुट भाग गया। दूसरे ने पीछे से दौड़ते हुए कट्टे से फ़ायर किया। सामने मुस्लिम समुदाय का मोहर्रम का जुलूस आ रहा था। कट्टे से फ़ायर के कुछ छर्रे मोहर्रम के जुलूस में शामिल लोगों को लगे। वहीं जुलूस में शामिल लोगों ने हमला करके राजकुमार अग्रहरि नाम के एक युवक को मार डाला।

इसके बाद जुलूस ने इस्माइलपुर में कारों और दुकानों में तोडफ़ोड़ भी की। इसके बाद हिन्दू महासभा के विधायक राधामोहन दास अग्रवाल और भाजपा के पूर्व मंत्री विश्वप्रताप शुक्ल व्यापारियों के साथ धरने पर बैठ गए और रास्ता जाम कर दिया। उत्तर प्रदेश के मौजूदा सीएम आदित्यनाथ योगी भी धरने में पहुंच गए। देखते ही देखते हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच नारेबाज़ी और हवाई फ़ायरिंग हुई, जिससे तनाव और बढ गया। इसके बाद अधिकारियों ने कफ्य़ू लागू कर दिया। इसी क्रम में वादी बने परवेज परवाज के अनुसार वह भाषण के दौरान वहां से गुजर रहे थे। वादी परवेज परवाज ने कैण्ट इंस्पेक्टर को तहरीर देकर विवादित बयान देने और उसके बाद भड़के दंगे में हुई राशिद की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अपील की।

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