हरिद्वार: राज्य वित्त के अंतर्गत पंचायती विभाग को आवंटित बजट में कटौती निरस्त करने, प्रदेश में उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू करने, ग्राम प्रधानों का न्यूनतम वेतन पांच हजार रुपये करने की मांग को लेकर जिले के सौ से अधिक ग्राम प्रधानों ने जिला पंचायत राज अधिकारी रमेश चंद्र त्रिपाठी को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंपा। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी दिया। इस संदर्भ में ग्राम प्रधानों का कहना है कि राज्य वित्त के तहत पहले पंचायतों को अधिक बजट दिया जाता था। लेकिन सरकार ने इस बार इसमें मनमाने तरीके से कटौती कर दी है। यह गलत है। क्योंकि पंचायतें विकास की महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
लेकिन सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। ऐसे में काम करने का कोई फायदा नहीं है। ग्राम प्रधान संघ के अध्यक्ष व लक्सर विकास खंड के मातोली ग्राम प्रधान साधुराम सैनी ने कहा कि ग्राम प्रधान पंचायती राज व्यवस्था की अहम कड़ी हैं। विकास कार्यों में कमी पर प्रधानों को दोषी ठहराया जाता है। लेकिन आज तक सरकार ने प्रधानों के लिए मानदेय नियत नहीं किया। सरकार कम से कम पांच हजार रुपए मानदेय प्रदान करें। इस्तीफा देने वालों में लक्सर, खानपुर, बहादराबाद सहित अन्य विकास खंडों के सैकड़ों ग्राम प्रधान शामिल रहे। जिला पंचायत राज अधिकारी रमेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि ग्राम प्रधानों की चिंता से शासन को पूर्व में भी अवगत करा दिया गया था। इस बारे में निर्णय सरकार को लेना है। ज्ञापन को जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को भेजेंगे।