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घट सकती है आपकी EMI, RBI ने उठाया ‘राहत’ देने वाला कदम

एजेन्सी/  raghuram-rajan_650x400_61459832220आरबीआई ने अपनी नीतिगत दरों में बदलाव का ऐलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का एलान किया है। इस कदम से अब रेपो रेट घटकर 6.50 फीसदी हो गया है।

इस 0.25 फीसदी की कटौती के बाद रेपो रेट मार्च 2011 के बाद सबसे निचले स्तरों पर आ गया है। लेकिन आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 5.75 फीसदी करने का ऐलान किया है। 

हालांकि सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, इस तरह सीआरआर 4 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा।

आरबीआई ने एमएसएफ दरें 0.75 फीसदी घटाकर 7 फीसदी कर दी है। आरबीआई ने रोजाना सीआरआर 95 फीसदी से घटाकर 90 फीसदी करने का एलान किया है। वहीं आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में रिटेल महंगाई दर यानि सीपीआई 5 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी ग्रोथ 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मुताबिक़ वित्तीय वर्ष 2016-17 में विकास दर 7.6 प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि कटौती से पहले ही बैंक सस्ता लोन देने में सक्षम हैं। इस कटौती के बाद अब बैंक लोन को आधा फ़ीसदी सस्ता कर सकते हैं। उन्होंने बैंकों की हालत में सुधार को लेकर खुशी भी जताई।  

गौरतलब है कि सोमवार को ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नीतिगत ब्याज दरों के मोर्चे पर नरमी की वकालत की थी।  उन्होंने कहा था कि ऊंची ब्याज दर से अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। बैंकर और विशेषज्ञ भी उम्मीद कर रहे थे कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ऋण की लागत को कम कर सकते हैं। 

आसान शब्दों में यूं समझें ‘गणित’

दरअसल, बैंकों को अपने कामों के लिए देश के केंद्रीय बैंक यानि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प रहता है। इस तरह के ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। 

जब बैंकों को कम दर पर ऋण उपलब्ध होगा, वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। इससे ऋण लेने वाले ग्राहकों में ज्यादा से ज्यादा बढ़ोतरी होती है। अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।

इसी तरह से रेपो रेट का ठीक उलट है रिवर्स रेपो रेट। दिन-भर के कामकाज के बाद बैंकों के पास बड़ी रकमें बच जाती हैं। बैंक उस रकम को रिजर्व बैंक के पास जमा कर देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज दिया करता है। रिजर्व बैंक इस ओवरनाइट रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

 रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमें उसके पास जमा करा दें और इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।

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