चिदंबरम का कबूलनामा, हां मैंने दस्तावेजों में कुछ ‘संपादकीय’ बदलाव किए थे
एजेन्सी/पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इशरत जहां मामले में दाखिल किए गए हलफनामे में थोड़ी बहुत ‘संपादकीय’ बदलाव किए थे। इस बात को खुद चिदंबरम स्वीकार किया है।
मुंबई में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान चिदंबरम ने अपनी नई किताब ‘स्टैंडिंग गॉर्ड- ए ईयर इन अपोजिशन’ में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए इस इशरत जहां मामले में संपादकीय बदलाव करने की बाद कही। चिदंबरम ने ही यह पुस्तक लिखी है।
गौरतलब है कि हाल ही में पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने चिदंबरम पर इशरत जहां मामले में दाखिल किए गए हलफनामे में बदलाव करने का आरोप लगाया था। उन आरोपों को चिदंबरम ने तो स्वीकार करते हुए उसे महज एक संपादकीय बदलाव ही बताया। हालांकि, उन्होंने पहले दिए बयान में पिल्लई को भी इस मामले में बराबर का जिम्मेदार ठहराया था।चिदंबरम ने कहा, ‘उस वक्त के अटॉर्नी जनरल उस हलफनामे को लेकर मेरे पास आए थे। मैंने, जैसा सभी वकीलों की आदत होती है उसमें कुछ बदलाव किए थे। यह हर वकील की आदत होती है। कोई भी वकील कहीं भी कॉमा लगा सकता है और जरूरी शब्दों को दिखा सकता है। मुझे नहीं लगता कि मेरे पास जितनी भी फाइलें आई थी वह बिना बदलाव के वापस गई हों। वह फाइलें गृह सचिव के टेबल से करीब तीन बार होकर गुजरती हैं।’
उन्होंने कहा, ‘वह फाइलें अब गायब हो गई हैं। आखिर किसको फायदा पहुंचाने के लिए उन फाइलों को गायब किया गया? मुझे वह गायब हुए ड्राफ्ट चाहिए। उसमें कुछ छिपाने वाला तथ्य नहीं था।’ गौरतलब है कि यूपीए सरकार पर आरोप है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए इशरत जहां मामले में उसके लश्कर-ए-तैयबा से संबंध को दस्तावेजों से हटा दिया था।
पिल्लई के खुलासे के बाद से यूपीए सरकार लगातार भाजपा के निशाने पर है। भाजपा का कहना है कि जानबूझकर दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ किया गया था। फिलहाल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले की आंतरिक जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। भाजपा सरकार लगातार इशरत जहां मामले में उस वक्त के मोदी सरकार को फंसाने का आरोप भी लगाती रही है।