चीन बढ़ाएगा भारत से आयात लेकिन घरेलू करेंसी में व्यापार के प्रस्ताव को ठुकराया
अमेरिका के साथ चल रहे ‘ट्रेड वार’ के बीच चीन ने भारत से ज्यादा आयात करने को तैयार है। इस बारे में वह पहले ही कुछ कदम उठा चुका है। पिछले कुछ महीनों में भारत से चावल व अन्य कृषि उत्पादों का आयात शुरु करने के बाद चीन ने भारत से सोयाबीन और सरसों के आयात शुरु करने का मन बनाया है। इस बात की जानकारी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी की पिछले शुक्रवार ब्यूनस आयर्स में हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान दी है। वैसे चीन भारत से आयात तो बढ़ाने को तैयार है, लेकिन उसने भारतीय रुपये में द्विपक्षीय कारोबार करने के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया है।
नई दिल्ली: चीन ने भारत के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें दोनों देशों के बीच लोकल करंसी में व्यापार करने की बात कही गई थी। ऐसा होने से भारत को चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद मिल जाती। लेकिन, चीन ने प्रस्ताव मानने से इनकार कर दिया। साल 2017-18 में भारत से चीन को 13.4 अरब डॉलर (920 अरब रुपए) का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि चीन से आयात 76.4 अरब डॉलर (5348 अरब रुपए) का हुआ। इस तरह भारत को 63 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ। चीन से भारत के आयात में हर साल इजाफा हो रहा है। साल 2016-17 में 51.11 अरब डॉलर का आयात हुआ था। मोदी और चिनफिंग के बीच जी-ट्वेंटी शिखर बैठक शुरु होने से पहले द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। इसमे चिनफिंग ने मोदी को बताया कि चीन भारत से सोयाबीन और सरसों समेत कुछ अन्य तिलहन उत्पादों का आयात बढ़ाने को तैयार है। चीन की राष्ट्रपति की तरफ से दी गई इस जानकारी को भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि करते हुए बताया कि अप्रैल, 2018 में वुहान में मोदी व चिनफिंग की बैठक के बाद दोनो देशों के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों की दो दौर में बातचीत हो चुकी है। इसमें भारत से तिलहन उत्पादों के आयात का मुद्दा कई बार उठा है। दरअसल, अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वार की वजह से चीन ने वहां से आयात होने वाले सोयाबीन व अन्य तिलहन उत्पादों के आयात पर भारी ड्यूटी लगा दी है। भारत ने घरेलू करंसी में व्यापार करने का प्रस्ताव ईरान, रुस और वेनेजुएला को भी दिया है। इन देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा है। फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष गणेश कुमार ने कहा कि सरकार को घेरलू करंसी में एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना चाहिए। भारत पहले भी ईरान और रुस से घरेलू करंसी में व्यापार कर चुका है। अमेरिकी सोयाबीन का चीन अभी तक का सबसे बड़ा खरीदार देश था, लेकिन अब चीन भारत जैसे देशों से इसे खरीद कर अपनी जरुरत पूरा करना चाहता है। इससे दोनो देशो के बीच व्यापार घाटे (निर्यात व आयात का अंतर) को पाटने में भी मदद मिलेगी। वर्ष 2017-18 में भारत व चीन के बीच व्यापार घाटा 63 अरब डॉलर का था। यानी भारत ने चीन से 76.4 अरब डॉलर का आयात किया था जबकि निर्यात सिर्फ 13.4 अरब डॉलर का था। पिछले कुछ वर्षो से तमाम उपायों के बावजूद दोनो देशों में व्यापार घाटा चीन के पक्ष में बढ़ता ही जा रहा है। वर्ष 2016-17 में यह घाटा 51.11 अरब डॉलर का था। मोदी व चिनफिंग की वुहान अनौपचारिक बैठक में व्यापार घाटा एक अहम मुद्दा रहा था। उसके बाद से चीन ने भारत से चावल व चीनी आयात करने को मंजूरी दी है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय कृषि उत्पादों की मांग चीन में बेहद सीमित है। इसे बढ़ने में कुछ साल लग सकते हैं। यही वजह है कि भारत की तरफ से यह प्रस्ताव किया गया था कि दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं (युआन-रुपये) में कारोबार हो, लेकिन चीन ने इससे साफ इनकार कर दिया है।