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चीफ जस्टिस पर महाभियोग के बाद अल्पमत में नेपाल सरकार, डिप्टी-पीएम का इस्तीफा, सेना की आपात बैठक

नेपाल में रविवार को तेजी से हुए घटनाक्रम के बाद प्रचंड की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई है. सत्ताधारी गठबंधन के एक तिहाई सांसदों की ओर से चीफ जस्टिस सुशीला कार्की पर महाभियोग प्रस्ताव दाखिल होने के बाद उप-प्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने इस्तीफा दे दिया है. देश के तीनों पूर्व पुलिस प्रमुखों को जेल भेज दिया गया है और आधी रात को नये चीफ जस्टिस की नियुक्ति की गई है.

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रविवार को नेपाल की संसद में एक अहम संविधान संशोधन विधेयक पर वोटिंग होनी थी. विधेयक में मधेशियों की मांगों को शामिल किया गया था. प्रचंड सरकार को इस विधेयक को पारित करवाने के लिए 4 सांसदों की जरूरत थी. सरकार ने करीब 12 बजे छोटे दलों के समर्थन से ये आंकड़ा हासिल किया. लेकिन इसके फौरन बाद वोटिंग को 3 दिन के लिए टाल दिया गया और नेपाली कांग्रेस के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के 249 सांसदों ने नेपाल की चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश कर दिया.

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस हैं. वो अगले महीने रिटायर होने वाली थीं. पिछले दिनों नेपाल की सरकार ने जय बहादुर चंद को नेपाल की पुलिस का प्रमुख नियुक्त किया था. लेकिन एक और सीनियर अफसर नवराज सिलवाल ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कार्की ने सरकार के फैसले को दरकिनार करते हुए सिलवाल के हक में फैसला सुनाया था. हालांकि सरकार ने बाद में प्रकाश अर्यल को इस ओहदे के लिए चुना. लिहाजा महाभियोग में कार्की पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करने, कार्यपालिका के काम में दखलअंदाजी करने जैसे आरोप लगाए गए हैं. नेपाली कानून के मुताबिक महाभियोग का प्रस्ताव पेश होते ही न्यायाधीश को निलंबित किया जाता है. लिहाजा कार्की को भी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.

तीन पूर्व पुलिस प्रमुख गए जेल
निलंबन से ठीक पहले सुशीला कार्की ने नेपाल के तीन पूर्व पुलिस प्रमुखों को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया था. रविवार को ही उनकी सजा भी मुकर्रर कर दी गई. नेपाल की सियासत में ये मामला सुडान घोटाले के नाम से काफी बवाल का सबब रहा है. इसके बाद तीनों पूर्व अफसरों को जेल भेजा गया था.

कार्की के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव स्वीकार होने के फौरन बाद नेपाल के डिप्टी पीएम और गृहमंत्री बिमलेंद्र निधि ने इस्तीफा दे दिया. निधि का आरोप था कि उन्हें ना तो प्रधानमंत्री और ना ही उनकी अपनी पार्टी के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने प्रस्ताव के बारे में बताया था. दो लाइन के इस्तीफे में निधि ने लिखा कि मौजूदा हालात में उनका पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.

अल्पमत में आई सरकार
रविवार दोपहर तक दो-तिहाई बहुमत जुटाने में कामयाब रही सरकार अब अल्पमत में आ गई है. उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के विरोध में समर्थन वापस ले लिया है. प्रजातंत्र पार्टी के पास 35 सांसदों की ताकत है.

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद रविवार देर शाम सेना ने आपातकालीन बैठक बुलाई. सूत्रों के मुताबिक बैठक में ताजा सियासी हालात की समीक्षा की गई और किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयारियों पर चर्चा हुई.

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प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष से मिलीं राष्ट्रपति
रविवार देर रात ही राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने प्रधानमंत्री प्रचंड और सेनाध्यक्ष जनरल राजेंद्र क्षेत्री से मुलाकात की. मीटिंग में उन्होंने इस महीने होने वाले स्थानीय चुनावों के मद्देनजर सुरक्षा हालात का जायजा लिया.

निगरानी से फरार पूर्व पुलिस प्रमुख
इस बीच खबर है कि नवराज सिलवाल अस्पताल में पुलिस निगरानी से फरार हो गए हैं. सरकार ने उनपर गोपनीय दस्तावेज लीक करने, फर्जी कागजात बनाने और पुलिस की चेन ऑफ कमांड की नाफरमानी जैसे आरोप लगाकर गिरफ्तार किया था. हालांकि कार्की के आदेश के बाद उन्हें छोड़ा गया था. लेकिन वो पुलिस की निगरानी में अस्पताल में इलाज करवा रहे थे. आशंका जताई जा रही है कि वो गिरफ्तारी के डर से भागे हैं.

आधी रात को नये मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
सरकार ने देर रात गोपाल पराजुली को सुप्रीम कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है. शपथ लेते ही उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है.

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