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चुनाव से पहले ही धीरे-धीरे टूट रहा एनडीए, अमित शाह ने दे चुनौती

आमचुनाव का बिगुल बस बजने बजने को है। ऐसा माना जा रहा है कि मार्च और अप्रैल में चुनाव की तारीखें आ सकती हैं। इस बीच कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में जहां महागठबंधन की ओर छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ रही हैं और वहीं भारतीय जनता पार्टी के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में जगह-जगह गांठें पड़ती जा रही हैं। एक के बाद एक कई पार्टियों ने भाजपा से किनारा कर लिया है। हाल ही में एनडीए के मजबूत दावेदार रहे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने बाय-बाय कहा है। वहीं रामविलास पासवान के साथ समझौता हो गया।

चुनाव से पहले ही धीरे-धीरे टूट रहा एनडीए, अमित शाह ने दे चुनौतीअमित शाह ने तरेरी आंख
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए से अलग हो रही पार्टियों को खुली चुनौती दे दी है। उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा कि अगर वह एनडीए में रहते है तो भाजपा उनकी जीत भी सुनिश्चित करेगी और अगर वह हमारा साथ छोड़ती है तो आगामी चुनाव में हम पूर्व सहयोगियों को भी हराने के लिए तैयार हैं। बता दें कि अमित शाह का सीधा इशारा लंबे समय से बगावती तेवर दिखा रही अपने सहयोगी शिवसेना की ओर था।

13 दलों से बना था एनडीए
1998 में 13 राजनीतिक दलों के साथ मिलकर एनडीए बनाया गया था। लेकिन एक साल के भीतर ही यह टूटने लगी। पहले साल में जहां एआईएडीएमके ने अपना रास्ता अलग किया वहीं 1999 में फिर कुछ नए दल पार्टी गठबंधन में शामिल हुए। इस गठबंधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में गठबंधन को सत्ता मिली और यह सरकार पांच साल तक सत्ता चली।

2014 में थीं 46 छोटी-बड़ी पार्टियां
लेकिन 2004 में शाइनिंग इंडिया का नारा दिया गया और पार्टी को बुरी तरह से हार मिली। उसके ठीक दस साल बाद 2014 में मोदी लहर में एनडीए की सत्ता में वापसी तो हुई लेकिन इसके साथ कई पार्टियों के मुखिया सीट बंटवारे को लेकर पार्टी गठबंधन से अलग हो रहे हैं। बता दें कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक इस गठबंधन में 46 छोटी- बड़ी पार्टियां गठबंधन के साथ थी। लेकिन जिस तरह से एक एक कर पार्टियां गठबंधन से पिछले दिनों अलग हुई हैं उसने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।

धीरे-धीरे टूट की कगार पर
सबसे पहले अगल हुए टीडीपी यानी तेलुगु देशम पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा हम के जीतन राम मांझी, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) अलग हुए। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर गोरखा लोगों से धोके का आरोप लगाया और एनडीए से नाता तोड़ लिया। दोनों की दोस्ती करीब एक दशक पुरानी थी। वहीं शिवसेना भी काफी समय से भाजपा के विरोध में बोल रही है। जबकि अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी रणनीति बना रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि दोनों पार्टियां भी एनडीए का साथ छोड़ सकती हैं।

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