उत्तर प्रदेशलखनऊ

चेक का क्लोन बना ऐसे खाता खाली कर देते थे जालसाज

fraud_1484298292क्लोन चेक बनाकर लोगों के बैंक अकाउंट साफ करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एसटीएफ ने बृहस्पतिवार दोपहर गोमतीनगर स्थित वेव मॉल के पास से मास्टरमाइंड सहित तीन बदमाशों को दबोच लिया।
 
इस मामले में गोमतीनगर के विनयखंड स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की ब्रांच मैनेजर अंजली पांडेय ने 22 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने एसटीएफ को जांच सौंपी थी।

एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि पकड़े गए बदमाश अंबेडकरनगर के बिवाना रामपुर सकरवारी निवासी आकाश सिंह, मंसापुर का सुधीर कुमार और फैजाबाद के रामसनेहीघाट स्थित असेना गांव का कुश द्विवेदी हैं।

आकाश सिंह चेक के क्लोन बनाने का मास्टर माइंड है। इस गिरोह ने बैंक ऑफ बड़ौदा की गोमतीनगर विनयखंड शाखा के खाताधारक अजीत प्रताप सिंह के अकाउंट से 90 हजार रुपये निकाले थे।

एसटीएफ के एएसपी शाहब रशीद खान को जांच सौंपी गई थी। बैंक डिटेल्स खंगालने पर पता चला कि अजीत के अकाउंट की क्लोन चेक से मुफ्ती शोरूम, वेव मॉल और मनोज पांडेय चौराहा स्थित पिज्जा हट तथा बियर शॉप से शॉपिंग की गई। 

चेक क्लोनिंग में जेल जा चुका है कुश

इन सभी जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों फुटेज निकलवाई गई, जिसमें संदिग्धों के चेहरे सामने आ गए। इस बीच बृहस्पतिवार दोपहर शातिरों के वेव मॉल में एकत्र होने की सूचना पाकर एसटीएफ की टीम ने घेराबंदी कर दबोच लिया। 
गैंग का गुर्गा फैजाबाद का कुश द्विवेदी 13 मार्च को चिनहट कोतवाली से चेक क्लोनिंग में जेल जा चुका है। गिरोह के बदमाशों के खिलाफ संतकबीरनगर कोतवाली में भी धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज है।

गिरोह के गुर्गे संदीप उर्फ राहुल सिंह फिलवक्त संतकबीरनगर जेल में बंद है। आकाश के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो चुका था और वह फरार था।
मास्टर माइंड आकाश का कई बैंकों के कर्मचारियों से संपर्क था।

वह बैंक से माइकर चेक की फोटो व्हॉट्सएप पर मंगा लेता था। अजीत के चेक की फोटो उसे राहुल नाम के किसी व्यक्ति ने व्हॉट्सएप पर भेजी थी। राहुल बैंक का कर्मचारी है या अजीत का कोई परिचित? इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

अजीत की चेक मिलने के बाद उनके नाम से ही दूसरे बैंक में अकाउंट खुलवाया गया। अकाउंट खुलते ही आकाश को उक्त बैंक से अजीत के नाम की चेकबुक, पासबुक व एटीएम कार्ड मिल गया।

इसके बाद शातिर आकाश ने केमिकल से अजीत की चेकबुक का माइकर कोड मिटा दिया। कोरल ड्रॉ सॉफ्टवेयर के जरिये उसने अजीत की पुरानी चेक का माइकर कोड नई चेक में प्रिंट किया। अजीत के अकाउंट में कितने रुपये हैं? यह पता लगाने के लिए उसने बैंक के कॉल सेंटर संपर्क किया।

49 हजार रुपये ही कर सके खर्च

वहां से बताया गया कि अजीत के अकाउंट में करीब 95 हजार रुपये हैं। इसके बाद आकाश ने क्लोन चेक में 90 हजार रुपये भरकर उसे मुंबई में रमेशपीरजी सोनावड़े के नाम से अपने ही एक फर्जी अकाउंट में लगाया।
चेक कैश होते ही उसने रुपये निकालकर साथियों में रकम बांट ली। आकाश ने इस तरीके से कई लोगों की चेक कैश कराकर लाखों रुपये का गड़बड़झाला किया। चेक कैश होते ही अजीत प्रताप सिंह के पास एसएमएस से जानकारी भेजी गई।

90 हजार रुपये का चेक कैश होने का पता चलाते ही उनके होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल बैंक में संपर्क कर इस तरह की कोई चेक जारी न करने की जानकारी दी। हालांकि, बैंक के कार्रवाई करने तक रकम का बड़ा हिस्सा ठगों ने खर्च कर दिया।

उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग, खान-पान और पेट्रोल आदि में 49 हजार रुपये खर्च कर दिए। इस बीच बैंक ने चेक के फर्जी होने की जानकारी देते हुए भुगतान रुकवा दिया। शेष रकम रमेशपीरजी सोनावड़े के खाते में पड़ी रह गई। 

 

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