चैत्र नवरात्र: नवरात्र के पहले दिन, घटस्थापना के साथ होती है मां शैलपुत्री की पूजा
6 अप्रैल यानी आज से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navaratra 2019) शुरू हो रहे हैं, जो कि 14 अप्रैल तक चलेंगे। साल में सबसे पहले आने वाले इस नवरात्रि के साथ-साथ हिंदू नववर्ष भी मनाया जाता है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (इसे मराठी नव वर्ष के तौर पर भी जाना जाता है) कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। साल में दो बार नवरात्रि (Navratri) पड़ती हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्र (Chaitra Navaratra 2019) और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 4 घंटे 7 मिनट तक चलेगा। सुबह – 06:19 से 10:26 तक
कलश स्थापना के लिए सामग्री
मिट्टी का पात्र, लाल रंग का आसन, जौ, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, कलश, मौली, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोका या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता का श्रृंगार और फूलों की माला।
ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन नहाकर मंदिर की सफाई करें या फिर जमीन पर माता की चौकी लगाएं। सबसे पहले भगवान गणेश जी का नाम लें। मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालें। उसमें जौ के बीच डालें।
कलश या लोटे पर मौली बांधें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। लोटे पर कुछ बूंद गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डालें। अब लोटे के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर रखें। अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें। अब माता के सामने व्रत का संकल्प लें।
जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना
कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। मान्यता है कि कलश स्थापना मां दुर्गा का आह्वान है और शक्ति की इस देवी का नवरात्रि से पहले वंदना शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इससे देवी मां घरों में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाती हैं।