सेहत है तो जहान है, लेकिन हमारे देश में सेहत के प्रति जागरुकता की अभी भी कमी है। आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक हमारे देश में 50 फीसदी से अधिक लोगों की फिजिकल एक्टिविटी में कोई रुचि नहीं रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल आर्थराइटिस जैसी जोड़ों की बीमारियां उम्र तक सीमित नहीं रह गई हैं बल्कि शारीरिक रूप से काम न करना भी इस बीमारी के बोझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार 05 में से 1 वयस्क और 5 में से 4 टीनएजर्स शारीरिक गतिविधियां नहीं करते हैं। फिटनेस के प्रति जागरूकता की कमी के कारण हेल्थ केयर में 54 अरब डॉलर का सीधा असर पड़ रहा है
आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक 54.4 फीसदी लोगों की शारीरिक गतिविधियां करने में कोई रुचि नहीं है। इसके अलावा सरकारी एजेंसी द्वारा की गई स्टडी के अनुसार 10 प्रतिशत से कम लोग फिटनेस के नाम पर मनोरंजन के तौर पर फिजिकल एक्टिविटी करते हैं ।
समय के साथ घिसने लगते हैं कार्टिलेज
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की क्षमता धीमी हो जाती है। हमारे शरीर की हड्डियों के दोबारा बनने और रिपेयर होने की क्षमता कम होने लगती है। हमारे घुटनों के जोड़ में मुलायम टिश्यू मौजूद होते हैं जिसे कार्टिलेज कहते हैं। समय के साथ यह मुलायम टिश्यू घिसने लगते हैं, जिससे जोड़ों में जगह बनने लगती है और इससे जांघ और शिनबोन में घिसाव होने लगता है।
45 से 60 मिनट तक पैदल चलना आपको जरूरी फिटनेस प्रदान करता है। इसलिए वर्कआउट के लिए समय नहीं, तो कम से कम पैदल जरूर चलें। इसके अलावा 04 या 5 घंटे की नींद लेकर जो लोग वर्कआउट करते हैं तो उन्हें इस दौरान झपकी आने लगती है। नतीजतन, एक्सरसाइज में गलती की संभावना ज्यादा रहती है।