जम्मू कश्मीर क्रिकेट बोर्ड ने क्रिकेट को किया शर्मशार
जेकेसीए में खींचतान का असर क्रिकेट पर भी रहा। इस रणजी सीजन में जेकेसीए अपने आठ मुकाबलों में किसी में भी सफलता नहीं हासिल कर पाया।
घरेलू मैदान पर चार मुकाबले होने के बावजूद तीन मुकाबलों में हार के साथ ग्रुप सी में सिर्फ नौ अंक ही मिले। खींचतान और घोटालों से पिछले चार साल से बीसीसीआई ने भी कोई फंड जारी नहीं किया।
इस साल 20 जुलाई को जेकेसीए में उस समय भूचाल आया जब एक धड़े ने श्रीनगर में वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर महबूब इकबाल को चेयरमैन, खेल मंत्री इमरान रजा अंसारी को प्रधान और इकबाल शाह को महासचिव बना दिया।
24 जुलाई को डा. फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में दूसरे धड़े ने भी वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर पहले धड़े के चुनाव को अवैध घोषित करके जम्मू विंग के उपचेयरमैन और संयुक्त सचिव को निलंबित कर दिया था।
इस घटनाक्रम में पहले दिन ट्वंटी-20 रणजी के ट्रायल मुकाबले भी नहीं हो पाए। दूसरे फारूक धड़े ने इसका नवाबाद पुलिस थाने में मामला भी दर्ज कराया।
इसके बाद 3-9-2015 को जेएंडके हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जेकेसीए में 113 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। कुल मिलाकर सालभर जेकेसीए में उथल-पुथल चलती रही।
पिछले सीजन जोशी के नेतृत्व में रणजी सहित अन्य आयु वर्ग की प्रतियोगिताओं में जेएंडके ने शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि अजय जडेजा, पटेल, टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के नामों पर चर्चा हुई, मगर चीफ कोच का पद नहीं मिल पाया।
इससे पूर्व नेचुरल स्पिनर के नाम से विश्वभर में विख्यात बिशन सिंह बेदी को 17 जुलाई 2011 को जेकेसीए में बतौर चीफ कोच के तौर पर तीन साल के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन जेकेसीए में मतभेद के चलते उन्हें डेढ़ साल के अंतराल में ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।