अद्धयात्म

जानिए कैसे मनाई जाती है भाई दूज, आप बनाएं इसे और भी खास

भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस बार ये त्योहार 9 नवंबर को मनाया जाएगा.

विधि

भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस बार ये त्योहार 9 नवंबर को मनाया जाएगा. भाई दूज को भाऊ बीज और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. भारत में रक्षा बंधन के अलावा यह दूसरा पर्व है जो भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक है. इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की दीर्घ आयु की कामना करती हैं.ऐसे करें भाई की पूजा:  
इस पूजा में भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं फिर उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपाड़ी, मुद्रा आदि रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए, ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’, का पाठ करती हैं. इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं. साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है. भैया दूज का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन इस पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है. उत्तर भारत में जहां यह चलन है कि इस दिन बहनें भाई को अक्षत व तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं.

क्या-क्या बनता है खास: 
इस दिन बहनें भाई के मनपसंद पकवान बनाकर खिलाती हैं. थाली में खीर, पूरी, नारियल के गोले की बर्फी और इससे बनने वाली मिठाइयों के साथ पंजीरी, सब्जी आदि खास होते हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त:  
भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.

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