आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि मरते हुए आदमी की इच्छा पूरा करने पर बहुत पुण्य मिलता है, फिर वह इंसान चाहे अपराधी ही क्यों न हो लेकिन यह हक उसे भी दिया जाता है।
लेकिन आप इस बात को तो जानते ही नहीं कि मौत की सजा प्राप्त अपराधियों को आखिरी इच्छा का हक तो दिया जाता है पर इसमें भी कुछ शर्ते लागू होती हैं। चलिए जानते है इनके बारे में…
मौत की सजा या फांसी की सजा प्राप्त अपराधी को अपनी अंतिम इच्छा पूरी करने का मौका तो मिलता है लेकिन ये इच्छा एक सीमित दायरे में ही तय होती है।
बता दें मौत की सजा प्राप्त अपराधी अंतिम इच्छा में अपनी सजा को माफ नहीं करवा सकता। कैदी के पास यह अधिकार होता है, कि वह अपनी अंतिम इच्छा में अपना कोई मनपसंद खाना या कोई स्पेशल भोजन जेल प्रशासन से मांग सकता है। इस इच्छा को खुशी-खुशी पूरा किया जाता है।
फांसी की सजा पाने वाले व्यक्ति को यह अधिकार भी होता है, कि वह अंतिम इच्छा के रूप में अपने परिवार वालों से मिलने की इच्छा जता सकता है। जेल प्रशासन उसे पूरे परिवार से मिलवाता है, अगर उसकी यह इच्छा है।
फांसी की सजा प्राप्त कर चुका व्यक्ति अपने अंतिम समय में अपने धर्म की कोई पवित्र पुस्तक पढ़ने की इच्छा रखता है, तो उसकी इस इच्छा के अनुरूप उसे धर्म की पुस्तक दी जाती है।
भारतीय संविधान के मुताबिक मौत की सजा प्राप्त अपराधी इन इच्छाओं के अलावा अगर किसी और बात की मांग करता है तो उस पर विचार करने जैसा कोई नियम नहीं है।