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जीएसटी के दायरे में आ सकती है प्राकृतिक गैस

नई दिल्ली : 6 महीने पहले जब दर्जनों करों और शुल्कों की जगह केवल एक टैक्स जीएसटी लागू किया गया तो देश में हंगामा हो गया। लेकिन अब जैसे-जैसे जीएसटी की प्रणाली में स्थिरता आ रही है। अगले कुछ महीने में प्राकृतिक गैस को नई टैक्स व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है। 1 जुलाई को जब जीएसटी लागू किया गया तो इसे तकनीकी रूप से कठीन और महंगा बताया गया। हालांकि, सरकार ने नई व्यवस्था में कई बदलाव किए, जिसमें टैक्स फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और 200 से ज्यादा वस्तुओं की दरें घटाना शामिल है। जीएसटी ने 30 जून की आधी रात में भारत को एक देश, एक बाजार में बदल दिया। उस समय रीयल एस्टेट के साथ-साथ कच्चा तेल, विमान ईंधन या एटीएफ, प्राकृतिक गैस, डीजल और पेट्रोल को इसके दायर से बाहर रखा गया। इसका अर्थ यह था कि इन उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट जैसे टैक्स लागू रहेंगे। 2018 में इसमें बदलाव की उम्मीद की जा रही है। कम से कम प्राकृतिक गैस के मामले में तो ऐसा ही लगता है।

राजस्व विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि केंद्र और राज्य इसे शामिल करने पर राजस्व बढ़ने को लेकर आश्वस्त हैं। इस लिहाज से प्राकृतिक गैस वो अगली बड़ी वस्तु होगी, जिसे जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि पांच पेट्रोलियम उत्पादों में प्राकृतिक गैस जीएसटी के तहत लाने के लिए सरल उम्मीदवार है। अगर प्राकृतिक गैस पर कोयले के बराबर 5 प्रतिशत कर लगाया जाता है तो राज्यों में सीएनजी के दाम घटाने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार जनवरी में आयोजित अगली जीएसटी परिषद की बैठक में प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिश कर सकता है। लेकिन अन्य पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के लिए ऐसा करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि राज्य और केंद्र दोनों को ही इनसे काफी राजस्व मिलता है।

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