जीका ने डॉक्टरों किया परेशान

एजेन्सी/ अमेरिका के विशेषज्ञों ने लंबे समय से चली आ रही जीका वायरस से सबंधित खोज पूरी कर ली है और इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस वायरस से माइक्रोसिफेली होता है। डॉक्टरों का कहना है कि इसमें अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि माइक्रोसिफेली का कारण यहीं वायरस है। उन्होंने ये भी कहा कि इससे पहले इतिहास में ऐसा कभी नहीं पाया कि मच्छरों के काटने से बच्चों में जन्मजात परेशानियां आ जाएं, ये स्थिति थोड़ी गंभीर है। डॉक्टरों ने इस मंडराते खतरे को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को देश से बाहर जाने और जीका प्रभावित देशों में जाने सख्त मना किया है।
लैटिन अमेरिका में तेजी से पांव पसार चुके इस वायरस ने गर्भवती महिलाओं से उनके नवजात बच्चों में कई समस्याएं पैदा की। इस खतरे को देखते हुए कुछ देशों ने 2018 तक महिलाओं को गर्भ धारण करने से मना कर दिया है। जानिए जीका वायरस क्या है और इससे जुड़ी जरुरी बातें।
जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलता है। जो डेंगू भी फैलाता है। ये वायरस 1940 में अफ्रीका में खोजा गया था। अब ये तेजी से लैटिन अमेरिका में फैल रहा है। इसमें हल्का सिरदर्द, बुखार, बैचेनी, लाल के रंग के दाने शुरुआती लक्षण के तौर पर दिखते हैं। इस वायरस का प्रभाव एक्सपोजर के 2 से 7 दिन बाद दिखता है।
ये वाइरस ब्राजील के अलावा, कोलंबिया, एक्वीडोर. एल सल्वाडोर, ग्वातेमाला, हायती, मैक्सिको आदि को मिलाकर लगभग 18 देशों में पाया गया है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि कि मच्छरों से बचाव किया जाए।
ये मच्छर रुके हुए पानी में ही पनपते हैं। ऐसी किसी भी जगह जहां पानी रुका हुआ है उसे ढककर रखा जाए या फिर हटा दिया जाए। वास्तव में इस बीमारी का कोई वैक्सीन अभी तक नहीं बन पाया है। ये वायरस मनुष्य के शरीर में पहली बार सन 1952 में युगांडा और तनजानिया में पाया गया।



