झारखंड में मिली हार के बाद BJP पर शिवसेना का तंज, कहा- जनता को कभी हल्के में लें
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के बाद झारखंड भी भाजपा के हाथ से निकल गया है। यहां चुनाव पूर्व हुए झामुमो, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन को जनता ने सत्ता की चाबी सौंप दी है। ऐसे में भाजपा की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए उसपर हमला बोला है। उसका कहना है कि भाजपा कांग्रेस मुक्त हिंदुस्तान की बात करती है और अब कई राज्य भाजपामुक्त हो गए हैं। पार्टी का कहना है कि यहां प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल को प्रचार के लिए उतारा गया लेकिन भाजपा को जीत नहीं मिली। शिवसेना का कहना है कि यदि जनता को हल्के में लिया जाएगा तो यही होगा।
शिवसेना ने लिखा, ‘भाजपा ने एक राज्य और गवां दिया है तथा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सहित पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को वहां लगाने के बावजूद भाजपा झारखंड में नहीं जीत पाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन अब मुख्यमंत्री बनेंगे। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन को बहुमत मिलेगा, ये स्पष्ट हो चुका है। कुल मिलाकर कांग्रेस-राजद के समर्थन से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार वहां आ रही है। ये भाजपा के लिए धक्कादायक है। भाजपा के नेता कांग्रेसमुक्त हिंदुस्तान की घोषणा कर रहे थे। लेकिन अब कई राज्य भाजपामुक्त हो गए हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्य भाजपा पहले ही गवां चुकी है।’
शिवसेना का कहना है कि अब पार्टी का उतार है और केवल 30-35 प्रदेशों में भाजपा की सत्ता है। सामना में लिखा है, ‘महाराष्ट्र में कांग्रेस-राष्ट्रवादी सरकार शिवसेना के नेतृत्व में बनी। 2014 में भाजपा 45 प्रतिशत प्रदेशों में सत्तासीन थी। अब उसका उतार है तथा जैसे-तैसे 30-35 प्रतिशत प्रदेशों में भाजपा की सत्ता है। भाजपा की घुड़दौड़ कई राज्यों में कमजोर पड़ती गई। ये तस्वीर विचार करनेवाली है। 2014 में देश के 22 राज्यों में भाजपा की सत्ता थी। पूर्वोत्तर राज्यों में भी भाजपा पहुंची। त्रिपुरा और मिजोरम तक उनके झंडे लहराए लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि अगर त्रिपुरा में चुनाव कराए जाएं तो जनता भाजपा की सत्ता उखाड़ फेंकेगी।’
नागरिकता संशोधन कानून का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि अमित शाह ने झारखंड में दिए अपने भाषणों में हिंदू-मुसलमान के बीच भेद पैदा करने की कोशिश की। शिवसेना ने कहा, ‘गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड में हुई प्रचार सभाओं के भाषणों को जांचा जाए तो ये साफ होता है कि वहां सीधे-सीधे हिंदू-मुसलमान में मतभेद कराने का प्रयास था। विशेषकर नागरिकता संशोधन विधेयक के कारण भाजपा का हिंदू मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा, ऐसी उनकी अपेक्षा थी। लेकिन झारखंड के श्रमिकों और आदिवासी जनता ने प्रलोभन को नकार दिया। लोग अगर ठान लें तो वे सत्ता, दबाव और आर्थिक आतंकवाद की परवाह नहीं करते। भाजपा एक के बाद एक राज्य गंवाती जा रही है। अब झारखंड भी गवां दिया, ऐसा क्यों? इस पर विचार करने की उनकी मानसिकता नहीं है। जनता को हल्के में लेंगे तो और क्या होगा।’