मुम्बई : नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल से टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को बड़ा झटका लगा है। एनसीएलटी ने मिस्त्री की याचिका को खारिज कर दिया है। मिस्त्री ने खुद को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने के आदेश को चुनौती देते हुए एनसीएलटी में याचिका दाखिल की थी। एनसीएलटी ने कहा कि साइरस मिस्त्री को इसलिए हटाया गया था क्योंकि टाटा संस के निदेशक मंडल और उसके सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था।
एनसीएलटी का यह फैसला टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच 20 महीने तक कड़वे कानूनी जंग के बाद आया है। मिस्त्री की ओर से दिसंबर 2016 में दायर याचिका में टाटा ग्रुप की ऑपरेटिंग कंपनियों में रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्स के एन ए सूनावाला के हस्तक्षेप के कारण टाटा संस में गवर्नेंस कमजोर होने और बिजनस को लेकर गलत फैसले किए जाने का भी आरोप लगाया था। टाटा ग्रुप की चार वर्ष तक कमान संभालने के बाद मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को हटाने के बाद उनकी फैमिली फर्मों- साइरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स ने ये आरोप लगाए थे। इससे पहले मिस्त्री और टाटा ग्रुप ने भी एक-दूसरे के खिलाफ बयान दिए थे। मिस्त्री ने टाटा संस के बोर्ड में शापूरजी पालोनजी ग्रुप को उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने, टाटा संस के मामलों में टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज के हस्तक्षेप को रोकने, टाटा संस को प्राइवेट कंपनी में तब्दील होने से बचाने और टाटा संस में साइरस मिस्त्री फैमिली फर्मों के शेयर्स को जबरदस्ती ट्रांसफर करने की अनुमति न देने की मांग की थी।