1997 में सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में यहां दूसरा मैच खेला गया। इस मैच में टीम इंडिया ने 9 विकेट खोकर 179 रन बना थे। प्रोटियाज टीम ने यह लक्ष्य 45.1 ओवर में ही हासिल कर लिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने साल 2001 में कीनिया के खिलाफ यहां तीसरा मैच खिला था, जिसमें टीम इंडिया को 70 रन से हार का मुंह देखना पड़ा था।
साल 2006 में कप्तान वीरेंद्र सहवाग को टीम की कमान मिली, लेकिन वह भी यहां कुछ नहीं कर पाए। द. अफ्रीका द्वारा बनाए गए 243 रनों के लक्ष्य का पीछे करते हुए टीम इंडिया 163 रन पर ही ढेर हो गई थी।
टीम इंडिया ने आखिरी बार यहां साल 2011 में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में मैच खेला था। इस मैच में द. अफ्रीका ने टीम इंडिया के सामने 265 रन का लक्ष्य रखा था, लेकिन धोनी की सेना 32.5 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 142 रन ही बना सकी। प्रोटियाज ने यह मैच डकवर्थ लुइस नियम के तहत जीता था।