ट्रंप राज में डॉलर में लगातार हो रही गिरावट, पिछड़ रहा अमेरिका का आर्थिक एजेंडा!
यूरोप की अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह एक अच्छी खबर है। साल 2014 में डॉलर के मुकाबले यूरो काफी कमजोर था। ऐसा तब हुआ था जब यूरोप के केंद्रीय बैंकों ने प्रोत्साहन नीति आपनाई थी, जबकि अमेरिका इससे दूरी बनाने लगा था। अब यूरोप की अर्थव्यवस्था सुधर रही है। इमैनुएल मैक्रों के चुनाव जीतने के बाद यूरो मजबूत हुआ है। यूरो का फायदा यह है कि डॉलर कमजोर हो रहा है। आज एक यूरो की कीमत 1.17 डॉलर से ज्यादा है, जो पिछले साल के मुकाबले दस सेंट अधिक है।
यह सिर्फ यूरो की कहानी नहीं है। डॉलर अन्य देशों की मुद्राएं, जैसे जापान के येन, मैक्सिको की पेसो और स्वीडेन के क्रोना के आगे भी कमजोर हो रहा है। इतना ही नहीं, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटिश पॉन्ड भी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है। साल 2016 के अंतिम महीनों में डॉलर काफी मजबूत था। टैक्स में कटौती और बुनियादी ढांचे में निवेश की उम्मीदों के बाद ऐसा लगा था कि डॉलर की मांग बढ़ेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अब ऐसा लग रहा है कि ट्रंप का आर्थिक एजेंडा पिछड़ रहा है। अमेरिकी चुनाव में रूस के कथित हस्ताक्षेप की चल रही पड़ताल ने ट्रंप प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है। दूसरी तरफ इस सप्ताह उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी भी बढ़ी है।
उच्च ब्याज दर मजबूत अर्थव्यवस्था से जुड़ा होता है। उच्च दरें निवेश को बढ़ावा देती है। लेकिन अभी ब्याज दरें अभी काफी कम है। फेडरल रिजर्व बैंक के अध्यक्ष जनेट येलेन ने हाल ही में कहा था कि भविष्य में बेहतरी के आसार दिख रहे हैं लेकिन ब्याज दरें फिर भी कम रहेगी।