नई दिल्ली । भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सोमवार को सभी प्रकार के स्पेक्ट्रमों की साझेदारी को अनुमति देने का सुझाव दिया। ट्राई ने स्पेक्ट्रम साझेदारी पर अपने दिशानिर्देश में कहा ‘‘8००/9००/18००/ 21००/23००/25०० मेगाहटज बैंड में सभी स्पेक्ट्रम साझेदारी के योग्य होंगे। लेकिन शर्त यह है कि साझेदारी करने वाले दोनों लाइसेंस धारकों के पास समान बैंड में स्पेक्ट्रम होने चाहिएं।’’ इसमें कहा गया है ‘‘साझेदारी समझौता करते समय दोनों लाइसेंस धारकों को इसके बारे में लाइसेंस जारी करने वाले को सूचित करना होगा।’’ ट्राई ने फरवरी 2०14 में अपने शीर्ष अधिकारियों और सभी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के प्रतिनिधियों को मिलाकर स्पेक्ट्रम साझेदारी का प्रारूप तैयार करने के लिए एक संचालन समिति (स्टीयरिंग कमेटी) गठित की थी। ट्राई की सिफारिश में यह भी कहा गया कि चूंकि इस साझेदारी से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा और कंपनी अधिक ग्राहकों को सेवा दे पाएगी इसलिए प्रत्येक लाइसेंस धारक के लिए स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की दर एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू (एजीआर) का ०.5 फीसदी बढ़ जाएगी। जीएसएम सेवा की प्रतिनिधि संस्था सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने आईएएनएस से कहा ‘‘कंपनिया लंबे समय से अधिक स्पेक्ट्रम की बात उठा रही थी। यह कदम उन सभी के फायदे में रहेगा। इससे वे अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा भी दे पाएंगी जिन्हें अभी संवाद के बीच में कॉल कटने की समस्या झेलनी पड़ती थी।’’