शहरी क्षेत्र के गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए केंद्र सरकार भले ही हर साल करोड़ों रुपये फूंक रही हो लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है।
केंद्र सरकार ने शहरी क्षेत्र के उन गरीब युवकों को रोजगार देने के लिए ‘कौशल प्रशिक्षण एवं सेवायोजन के माध्यम से रोजगार’(ईएसटी एंड पी) कार्यक्रम शुरू किया था, जिनके परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के तहत संचालित होने वाले इस कार्यक्रम के माध्यम से युवकों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देकर उनका प्लेसमेंट कराया जाता है।
वित्त वर्ष 2016-17 में प्रदेश के 1 लाख 57 हजार 968 युवकों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देकर 50 प्रतिशत प्रशिक्षितों का प्लेसमेंट कराने का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए केंद्र ने करीब 80 करोड़ रुपये का बजट दिया था।
पूरा साल बीतने के बाद एनयूएलएम के अधिकारियों ने 1 लाख 27 हजार 963 लाख युवकों को प्रशिक्षण तो दिला दिया, लेकिन प्लेसमेंट कराने में दिलचस्पी नहीं ली। नतीजतन, इनमें से सिर्फ 339 युवकों का ही प्लेसमेंट हो सका।
सूत्रों की मानें तो कौशल विकास की ट्रेनिंग देने का काम निजी संस्थानों के जरिए कराया जाता है। इन संस्थानों का चयन स्थानीय अधिकारियों को ही करना होता है।
इसलिए एनयूएलएम के अधिकारी ट्रेनिंग दिलाने को लेकर तो उत्साहित रहते हैं, लेकिन प्लेसमेंट में वे रुचि नहीं लेते।
लक्ष्य तय नहीं करने से अटका बजट
वित्त वर्ष 2017-18 केलिए एनयूएलएम ‘कौशल प्रशिक्षण एवं सेवायोजन के माध्यम से रोजगार’ कार्यक्रम का अभी लक्ष्य ही तय नहीं कर पाया है, जबकि अप्रैल में लक्ष्य तय करके केंद्र को भेजना था।
अधिकारियों की इस लापरवाही से चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र से मिलने वाला 80 करोड़ रुपये का बजट भी लटक गया है।