तमिलनाडु की बाढ़ को केंद्र ने ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित किया
चेन्नई: केंद्र ने तमिलनाडु में हाल में आई बाढ़ को ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित किया है। दूसरी ओर डीएमके सहित विपक्षी पार्टियों ने शहर को बर्बाद करने वाली मूसलाधार बारिश और बाढ़ से निपटने के तरीके को लेकर एआईएडीएमके सरकार पर निशाना साधा।
सीएम जयललिता ने बयान जारी कर बताया
मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने एक बयान में कहा, ‘मेरे अनुरोध को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने बाढ़ (और उससे हुए) नुकसान को गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित किया है।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में पिछले हफ्ते अनुरोध किया था कि बाढ़ को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए, जिसके बाद यह घोषणा हुई है।
जयललिता ने प्रधानमंत्री के साथ भारी बारिश के कारण आई बाढ़ पर हुई विस्तृत चर्चा को याद किया। तीन दिसंबर 2015 को मोदी ने चेन्नई और उसके आसपास के क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया था। उन्होंने कहा कि संसद के सचिवालय ने सांसदों को अधिसूचना जारी की है कि वे बाढ़ प्रभावित जिलों में अपनी सांसद निधि से एक करोड़ रुपये कीमत तक के पुनर्निर्माण और पुनर्वास कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं। अधिसूचना का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को मंजूरी पत्र भेजा जा सकता है।
विपक्षी पार्टियों ने उठाये सवाल
वहीं विपक्षी पार्टियों ने पिछले हफ्ते चेम्बरमबक्कम जलाशय से अधिक पानी छोड़ने पर भी सवाल उठाया। मीडिया के एक वर्ग में आई रिपोर्टों का जिक्र करते हुए डीएमके और सीपीएम ने आरोप लगाया कि अचानक से 35,000 क्यूसेक पानी जलाशय से छोड़ने और भारी बारिश की वजह से शहर में हालात और बदतर हुए।
डीएमके के कोषाध्यक्ष एमके स्टालिन ने एक खबर के हवाले से कहा कि भारी बारिश की चेतावनी थी लेकिन वरिष्ठ अधिकारी हालात के बारे में मुख्यमंत्री जे जयललिता को अवगत नहीं करा सके। उन्होंने एक बयान में कहा कि फैसले लेने में देरी हुई और चेम्बरमबक्कम जलाशय से अचानक से 35,000 क्यूसेक पानी छोड़ने से हालात और बदतर हो गए। उन्होंने कहा, ‘लिहाजा तथ्यों का पता लगाने के लिए तुरंत एक जांच आयोग बनाने का मैं अग्राह करता हूं।’